Mahashivratri 2023 Puja: सनातन धर्म में शिवरात्रि का विशेष महत्व है. भगवान शिव की पूजा के लिए शिवरात्रि का पर्व उत्तम माना गया है. यह पर्व यह हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. इस बार यह पर्व 18 फरवरी को मनाया जाएगा. इस दिन भक्त पूरी श्रद्धा के साथ शिव की आराधना करते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने कैलाश पर्वत पर माता पार्वती से विवाह किया था. महाशिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण का विशेष महत्व होता है. आइए जानते हैं कि आखिर क्यों महाशिवरात्रि की रात इतनी खास मानी जाती है.


महाशिवरात्रि पर रात्रि जागरण का महत्व


महाशिवरात्रि शब्द तीन शब्दों से मिलकर बना है. इसमें महा का अर्थ महान, शिव हमारे देवता और रात्रि का अर्थ रात है. इन तीनों शब्दों का सीथा मतलब है ‘शिव की महान रात’. शिव-पार्वती के अलावा एक मान्यता ये भी है कि महाशिवरात्रि की रात भगवान शिव ने तांडव नृत्य किया था. इस नृत्य को सृजन और विनाश की अभिव्यक्ति के रूप में देखा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन रात भर जागकर शिव और उनकी शक्ति माता पार्वती की आराधना करने से भक्तों पर शिव और मां पार्वती की विशेष कृपा होती है. महाशिवरात्रि का रात्रि जागरण से जीवन के तमाम कष्ट दूर हो जाते हैं. इसलिए महाशिवरात्रि की रात सोना नहीं चाहिए.


वहीं वैज्ञानिक दृष्यिकोण से भी महाशिवरात्रि अहम मानी जाती है. कहा जाता है कि महाशिवरात्रि की रात में ब्रह्माण्ड में ग्रह और नक्षत्रों की ऐसी स्थिति होती है जिससे एक खास ऊर्जा का प्रवाह होता है. रात्रि जागरण करके इस ऊर्जा का उपयोग आत्मचेतना में किया जा सकता है. आध्यात्मिक रूप से बात की जाए तो प्रकृति इस रात मनुष्य को परमात्मा से जोड़ती है. इसका पूरा लाभ उठाने के लिए महाशिवरात्रि की रात में जागरण करने और रीढ़ की हड्डी सीधी करके ध्यान मुद्रा में बैठने की बात कही गई है.


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