Mahashivratri 2024: भोलेनाथ को पसंद नहीं ये 5 चीजें, महाशिवरात्रि की पूजा में गलती से भी ना करें इस्तेमाल
Mahashivratri 2024: फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का आयोजन होता है. इस दिन शिवभक्त व्रत रखते हैं और उनकी पूजा करते हैं. इस दिन से जुड़े खास नियम होते हैं.
Mahashivratri: महाशिवरात्रि हिन्दुओं के सबसे बड़े पर्वों में से एक है. इस बार महाशिवरात्रि 8 मार्च, शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी. इस दिन भक्त पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव की आराधना करते हैं. शिव भक्तों के लिए यह दिन बहुत खास होता है. भारत के कई हिस्सों में, महाशिवरात्रि को बहुत भक्ति और उत्साह के साथ मनाया जाता है.
इस दिन देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने के लिए लोग तरह-तरह के उपाय किए जाते हैं. शिव पुराण में भोलेनाथ की पूजा से जुड़े कुछ खास नियम बताए गए हैं. शंकर भगवान की पूजा में कुछ चीजें नहीं अर्पित करनी चाहिए. माना जाता है कि इससे भोलेनाथ नाराज हो जाते हैं. जानते हैं इसके बारे में.
महाशिवरात्रि की पूजा में ना करें ये गलती (Maha Shivratri Puja Rituals)
- पूजा-पाठ में हल्दी का इस्तेमाल करना बहुत शुभ माना जाता है लेकिन भोलेनाथ की पूजा में हल्दी का इस्तेमाल अशुभ माना जाता है. हल्दी का इस्तेमाल सौंदर्य प्रसाधन में किया जाता है. शास्त्रों के अनुसार हल्दी स्त्रियों से संबंधित वस्तु है और शिवलिंग पुरुष तत्व है. यही वजह है कि भगवान शिव की पूजा में हल्दी का इस्तेमाल गलती से भी नहीं करना चाहिए.
- भोलेनाथ को कभी भी तुलसी नहीं अर्पित करनी चाहिए. तुलसी बहुत पवित्र मानी जाती है लेकिन शंकर भगवान की पूजा में कभी भी इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इसके पीछे एक पौराणिक कथा है जिसके अनुसार, भगवान शिव ने तुलसी के पति असुर जालंधर का वध कर दिया था, जिससे क्रोधित होकर तुलसी ने खुद ही भगवान शिव की पूजा से वंचित कर दिया था.
- भगवान शिव की पूजा में गन्ने का रस,दूध,शहद,दही आदि चीजें अर्पित की जाती हैं लेकिन उन्हें कभी भी नारियल या नारियल का पानी नहीं अर्पित करना चाहिए. नारियल को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है और उनका संबंध भगवान विष्णु से है. इसलिए शिव जी को यह नहीं चढ़ाया जाता है.
- शास्त्रों के अनुसार महादेव को कनेर और कमल के फूल ही अर्पित करना चाहिए. उन्हें लाल रंग के फूल, केतकी और केवड़े का फूल अर्पित नहीं करना चाहिए. शिवलिंग पर इन फूलों को चढ़ाने से पूजा का फल प्राप्त नहीं होता है. शिवलिंग पर बेलपत्र,भांग औ धतूरा चढ़ाने से भोलेनाथ जल्द प्रसन्न हो जाते हैं.
- भगवान शिव की पूजा में शंख का प्रयोग नहीं करना चाहिए. एक पौराणिक कथा के अनुसार, दैत्य शंखचूड़ ने सभी देवताओं को परेशान किया हुआ था. तब भगवान शिव ने त्रिशूल से उसका वध कर उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई थी. इससे उसका शरीर भस्म हो गया और उसी भस्म से शंख की उत्पत्ति हुई. चूंकि भगवान शिव ने दैत्य शंखचूड का वध किया था इसलिए उनकी पूजा में शंख का प्रयोग नहीं किया जाता है.
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