Mahashivratri 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन शिव जी और माता पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए यह पर्व हर साल शिव भक्तों द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है. महाशिवरात्रि के दिन शिवजी के भक्त श्रद्धा और विश्वास के साथ व्रत रखते हैं और विधि-विधान से शिव-गौरी की पूजा करते हैं.


ऐसा कहा जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ पृथ्वी पर मौजूद सभी शिवलिंग में विराजमान होते हैं, इसलिए महाशिवरात्रि के दिन की गई शिव की उपासना से कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है. इस साल 8 मार्च को महाशिवरात्रि का पर्व ग्रहों की शुभ युति तथा शिवयोग के सर्वार्थ सिद्धि योग में मनेगा. इसलिए इस बार की महाशिवरात्रि और भी खास होगी.

महाशिवरात्रि पर 300 साल बाद दुर्लभ संयोग (Mahashivratri 2024 Shubh Yog)


पंचांग की गणना व धर्मशास्त्रीय मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि पर इस प्रकार के योग संयोग व ग्रह स्थिति 300 साल में एक या दो बार ही बनती है. इस दुर्लभ योग में भगवान शिव की पूजा शीघ्र फल प्रदान करने वाली मानी गई है. महाशिवरात्रि पर शुक्रवार के दिन श्रवण नक्षत्र उपरांत धनिष्ठा नक्षत्र, शिवयोग, गर करण तथा मकर/कुंभ राशि के चंद्रमा की साक्षी रहेगी. वहीं, कुंभ राशि में सूर्य, शनि, बुध का युति संबंध रहेगा. इस प्रकार के योग तीन शताब्दी में एक या दो बार बनते हैं, जब नक्षत्र, योग और ग्रहों की स्थिति केंद्र त्रिकोण से संबंध रखती है.

 

शुभ संयोग और शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की आराधना करने से उनके भक्तों को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होगी. इस दिन सुबह से ही मंदिरों में शिव भक्तों की भीड़ जमा हो जाती है. सभी भक्त प्रभु की पूजा-अर्चना में जुट जाते हैं. कई लोग इस दिन अपने-अपने घरों में रुद्राभिषेक भी करवाते हैं. भगवान भोलेनाथ की कई प्रकार से पूजा अर्चना की जाती है. लेकिन महाशिवरात्रि पर यदि भक्त बेलपत्र से भगवान शिव की विशेष पूजा करें तो उनके धन संबंधी दिक्कतें दूर हो जाएंगी.

 

वर्ष भर में आने वाली 12 शिव रात्रियों में यह महाशिवरात्रि है. अर्थात फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से युक्त यह शिवरात्रि महाशिवरात्रि की श्रेणी में आती है. इस दिन भगवान शिव की विशेष रूप से पूजा करनी चाहिए. इसमें पंचामृत अभिषेक, षोडशोपचार या पंचोपचार पूजन, अष्टाध्यायी रूद्र, लघु रूद्र, महा रूद्र आदि के माध्यम से भगवान शिव को प्रसन्न किया जा सकता है.

महाशिवरात्रि  तिथि (Mahashivratri 2024 Date)


पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 08 मार्च रात में 09:47 मिनट से होगी. इस तिथि का समापन अगले दिन 09 मार्च शाम 06:17 मिनट पर होगा. महाशिवरात्रि व्रत के दिन भगवान शिव की उपासना निशिता काल में की जाती है, इसलिए महाशिवरात्रि व्रत इस साल 08 मार्च 2024 शुक्रवार के दिन रखा जाएगा.

महाशिवरात्रि शुभ योग और नक्षत्र (Mahashivratri 2024 Shubh Yog and Nakshatra)


शिव योग (Shiv Yog):  यह योग 8 मार्च 2024 को सुबह 4:46 मिनट से शुरू होगा और 9 मार्च 2024 को देर रात्रि 12:46 मिनट पर समाप्त हो जाएगा. शिव से जुड़ा यह योग शिवरात्रि के पर्व पर बन रहा है जो महादेव की कृपा पाने कि लिए बेहद शुभ है. मान्यता है कि इस योग में शिव आराधना करने से महादेव जल्दी प्रार्थना स्वीकार कर लेते हैं. यह योग भगवान शिव की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है.

 

सिद्ध योग (Siddha Yog): यह योग 9 मार्च 2024 की देर रात्रि 12:46 मिनट से शुरू होगा और शाम 8:32 मिनट तक रहेगा. यह योग सिद्धि प्राप्ति के लिए शुभ माना जाता है. इसी के साथ यह योग निशिता काल मुहूर्त में पड़ रहा है. इस दौरान शिव आराधना करने से आपकी पूजा सिद्ध मानी जाएगी. जिस पूजा पद्धति के माध्यम से आप भोलेनाथ की पूजा इस योग में करते हैं वह सिद्धी को प्राप्त होगी.

 

सर्वार्थ सिद्धि योग (Sarvartha Siddhi Yog):  यह योग 8 मार्च 2024 को सुबह 6:38 बजे से शुरू होगा और 10:41 मिनट तक रहेगा. यह योग कार्यों को सिद्ध करने और उसमें सफलता प्रदान करने वाला होता है. ऐसे में शिवरात्रि वाले दिन महादेव की उपासना करने से आपको हर कार्य में प्रसिद्धि मिलेगी.

 

श्रवण नक्षत्र (shravana nakshatra): महाशिवरात्रि पर श्रवण नक्षत्र के होने यह दिन और भी शुभफलदायी बन गया है. श्रवण नक्षत्र के स्वामी शनि देव माने जाते हैं जोकि शिवजी के परम भक्त हैं. इसलिए महाशिवरात्रि के दिन श्रवण नक्षत्र होने से यह व्रत और भी परमफलदायी हो गया है. श्रवण नक्षत्र में शिव पूजा करने से आपको शिवजी की कृपा का लाभ बहुत ही जल्द देखने को मिलता है.

महाशिवरात्रि पूजा मुहूर्त (Mahashivratri 2024 Puja Muhurat)


8 मार्च को महाशिवरात्रि के दिन शिव जी की पूजा का समय शाम के समय 06:25 मिनट से 09:28 मिनट तक है. 

 

प्रथम प्रहर पूजा - 8 मार्च शाम 06.25 मिनट से रात्रि 09.28मिनट तक 

दूसरे प्रहर पूजा - 8 मार्च रात्रि 09.28 मिनट से 9 मार्च मध्य रात्रि 12.31बजे तक 

तीसरे प्रहर पूजा – 9 मार्च मध्य रात्रि 12.31 मिनट से प्रातः 03.34 मिनट तक 

चतुर्थ प्रहर पूजा - 9 मार्च को ही प्रातः 03.34 मिनट से सुबह 06.37 मिनट तक 

 

इन चीजों से करें भगवान शिव का अभिषेक (Lord Shiva Abhishek Vidhi)


महाशिवरात्रि पर्व के दिन भगवान शिव की उपासना के समय शिवलिंग पर शहद से अभिषेक करना शुभ होता है. ऐसा करने से श्रद्धालु के कार्य जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती है और भगवान शिव की कृपा बनी रहती है. शिवरात्रि के दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक दही से करने से भी आर्थिक क्षेत्र में आ रही सभी परेशानियां दूर हो जाती है. वहीं गन्ने के रस से भगवान शिव का अभिषेक करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. भगवान शिव का अभिषेक करते समय 108 बार 'ॐ पार्वतीपतये नमः' मंत्र का जाप करना चाहिए. ऐसा करने से जीवन में अकाल संकट नहीं आता है.

पूजन विधि (Lord Shiva Puja Vidhi)


महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को पंचामृत से स्नान कराएं. केसर के 8 लोटे जल चढ़ाएं. पूरी रात्रि का दीपक जलाएं, चंदन का तिलक लगाएं, बेलपत्र, भांग, धतूरा, गन्ने का रस, तुलसी, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र व दक्षिणा चढ़ाएं. फिर केसर युक्त खीर का भोग लगाकर प्रसाद बांटें.

 







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