Makar Sankranti 2023 Snan: आज मकर संक्रांति का पर्व पूरे उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. भारत के विभिन्न क्षेत्रों में इस त्यौहार को स्थानीय मान्यताओं के अनुसार धूमधाम से मनाया जाता है. मकर संक्रांति के दिन स्नान और दान-दक्षिणा का विशेष महत्व होता है. आज के दिन काले तिल से सूर्य देव की पूजा की जाती है. मकर संक्रांति के दिन ही सूर्य उत्तरायण होता है. हिंदू धर्म में सूर्य का दक्षिण से उत्तर दिशा की तरफ बढ़ना बहुत शुभ माना गया है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब सूर्य पूर्व से उत्तर की ओर गमन करता है, तब उसकी किरणें सेहत और शांति को बढ़ाती हैं. उत्तर की ओर गमन करते हुए सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है इसलिए इसे मकर संक्रांति भी कहा जाता है. आइए जानते हैं मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान करना इतना शुभ क्यों माना जाता है.
मकर संक्रांति पर गंगा स्नान क्यों शुभ माना जाता है?
मकर संक्रांति पर गंगा स्नान का बड़ा महत्व होता है. इसके पीछे एक पौराणिक कथा है. कथा के अनुसार महाराजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों के तर्पण के लिए वर्षों तक घोर तपस्या की. उनकी इस कठिन तपस्या को देखकर गंगा जी को पृथ्वी पर आने को मजबूर हो गईं. मकर संक्रांति के दिन ही गंगा जी स्वर्ग से पृथ्वी लोक पर अवतरित हुईं थीं और इसी दिन महाराजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों का तर्पण किया था. इसके बाद उनके पीछे चलते-चलते गंगा जी कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए सागर में समा गईं. तभी से मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान बहुत शुभ माना जाने लगा.
मकर संक्रांति का महत्व
हिंदू धर्म में इसे आस्था का महापर्व भी कहा जाता है. इस अवसर पर स्नान, दान, धर्म और पूर्वजों को तर्पण करने का विशेष महत्व माना जाता है. इस दिन देशभर में कई जगह मेला भी लगता हैं. इस मौके पर लाखों श्रद्धालु गंगा और अन्य पावन नदियों के तट पर स्नान और दान, धर्म करते हैं. मकर संक्रांति के दिन किए जाने वाले धार्मिक कार्यों का उल्लेख मत्स्य पुराण और स्कंद पुराण में मिलता है. पूजा-अर्चना के लिए उत्तरायण काल विशेष फलदायी होता है.
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