Parikrama Benefit: मंदिर में क्यों लगाई जाती है परिक्रमा, घड़ी की दिशा में परिक्रमा लगाने के पीछे है ये वजह
Parikrama Benefit: हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की ही नहीं पीपल, बरगद, तुलसी के चारों ओर परिक्रमा की जाती है. जानें परिक्रमा लगाने के लाभ, सही दिशा और किस भगवान की कितनी परिक्रमा लगानी चाहिए.
Parikrama Benefit: हर धर्म में परिक्रमा करने का महत्व है. सनातन धर्म के महत्वपूर्ण वैदिक ग्रंथ ऋग्वेद में प्रदक्षिणा या पिरक्रमा का जिक्र मिलता है. परिक्रमा पूजा का महत्वपूर्ण अंग माना जाता है. मान्यता है कि भगवान की परिक्रमा करने से पापों का नाश होता है. हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की ही नहीं पीपल, बरगद, तुलसी समेत अन्य शुभ प्रतीक पेड़ों के अलावा यज्ञ, नर्मदा, गंगा आदि के चारों ओर परिक्रमा भी की जाती है क्योंकि सनातन धर्म में प्रकृति को भी साक्षात देव समान माना गया है. आइए जानते है परिक्रमा लगाने के लाभ, परिक्रमा करने की सही दिशा और किस भगवान की कितनी परिक्रमा लगानी चाहिए.
परिक्रमा करने के लाभ और सही तरीक
- धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, मंदिर और भगवान के आसपास परिक्रमा करने से सकारात्मक ऊर्जा शरीर में प्रवेश करती है.और ये ऊर्जा व्यक्ति के साथ घर तक आती है जिससे सुख-शांति बनी रहती है.
- मंदिर में हमेशा परिक्रमा घड़ी की सुई की दिशा में करनी चाहिए। इससे भी समझ सकते हैं कि आपको हमेशा भगवान के दाएं हाथ की तरफ से परिक्रमा शुरू करनी चाहिए.
- परिक्रमा के दौरान अपने इष्ट देव के मंत्र का जाप करने से उसका शुभ फल मिलता है. या फिर आप इस मंत्र का जाप भी कर सकते हैं.
यानि कानि च पापानि जन्मांतर कृतानि च।
तानि सवार्णि नश्यन्तु प्रदक्षिणे पदे-पदे।।
अर्थ - हमारे द्वारा जाने-अनजाने में किए गए और पूर्वजन्मों के भी सारे पाप प्रदक्षिणा के साथ-साथ नष्ट हो जाए। परमपिता परमेश्वर मुझे सद्बुद्धि प्रदान करें.
- परिक्रमा का संस्कृत शब्द है प्रदक्षिणा. इसे दो भागों (प्रा + दक्षिणा) में बांटा गया है. प्रा से अर्थ है आगे बढ़ना और दक्षिणा मतलब है दक्षिण की दिशा.यानी कि दक्षिण दिशा की ओर बढ़ते हुए देवी-देवता की उपासना करना. परिक्रमा के दौरान प्रभु हमारे दाईं ओर गर्भ गृह में विराजमान होते हैं.
किस देवता की कितनी परिक्रमा करनी चाहिए
- गणेशजी की चार, विष्णुजी की पांच, देवी दुर्गा की एक सूर्य देव की सात, और भगवान भोलेनाथ की आधी प्रदक्षिणा करें.
- शिव की मात्र आधी ही प्रदक्षिणा की जाती है,जिसके विशेष में मान्यता है कि जलधारी का उल्लंघन नहीं किया जाता है.
- जलधारी तक पंहुचकर परिक्रमा को पूर्ण मान लिया जाता है.
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