Manglik Dosh Effect: ज्योतिष शास्त्र में मंगल को ऊर्जा, भूमि, शक्ति, साहस, पराक्रम और शौर्य का कारक माना जाता है. कुंडली में मंगल की अच्छी स्थिति हो तो व्यक्ति  स्वभाव से निडर और साहसी होता है.  ज्योतिष शास्त्र में मंगल को ग्रहों के सेनापति का दर्जा प्राप्त है. भारतीय ज्योतिष के अनुसार मंगल ग्रह मेष राशि और वृश्चिक राशि का स्वामी है. 


सूर्य, चंद्र और बृहस्पति मंगल के मित्र ग्रह हैं जबकि बुध इसका विरोधी ग्रह है. मंगल मृगशिरा नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र और धनिष्ठा नक्षत्र का स्वामी भी है. कुंडली में मंगल की अशुभ स्थिति जीवन में कई तरह की कठिनाई लेकर आती है. कुंडली में मंगल पीड़ित अवस्था में हो तो जातक को कई तरह की गंभीर समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है. यही वजह है कि मंगल को क्रूर ग्रह भी कहा जाता है. जानते हैं मांगलिक दोष होने पर क्या समस्याएं आ सकती हैं और इसे कैसे दूर किया जा सकता है.


मांगलिक दोष का प्रभाव



कुंडली में मंगल कमजोर हो तो यह जातक को कई तरह की परेशानियां उठानी पड़ती हैं. मंगल के दुष्प्रभाव से व्यक्ति के दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है. उन्हें कई तरह की पारिवारिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है. मंगल कमजोर हो तो शत्रुओं से पराजय, जमीन विवाद, कर्ज जैसी दिक्कतें लग रहती हैं. मंगल दोष की वजह से विवाह में कई तरह की बाधाएं आती हैं और शादी भी देर से होती है.


कैसे बनता है मांगलिक दोष 


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी जातक का मांगलिक दोष उसकी कुंडली में मंगल की स्थिति पर निर्भर करता है. अगर कुंडली में मंगल ग्रह प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में बैठा हो तो मंगल की इस स्थिति से मांगलिक दोष बनता है. मांगलिक दोष की वजह से दांपत्य जीवन पर बुरा असर पड़ता है. इसकी वजह से विवाह में देरी और कई तरह की रुकावटें आती हैं.


मंगल दोष दूर करने के उपाय 


मंगल पीड़ित हो तो व्यक्ति बात-बात पर गुस्सा करता है. इसकी वजह व्यक्ति स्वभाव से क्रोधित हो जाता है. इसकी वजह से जातक को जीवन में कई तरह के उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है. मंगल के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए जातक को मंगल दोष के उपाय करने चाहिए. इसके लिए मंगलवार का व्रत करना उत्तम रहता है.  हर दिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है. इसके अलावा मंगल के बीज मंत्र का जाप करना भी आपके लिए लाभकारी होगा.


मंगल का बीज मंत्र 


ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः


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