Mantra Upay: मंत्रों के जाप से किसी भी तरह के संकट, कष्ट, बाधाओं और कठिनाईयों से मुक्ति मिलती है. मंत्रों के जाप से सुरक्षित-सुखद जीवन की प्राप्ति होती है. मंत्रों के प्रकाश से जातक जीवन में शीघ्रता से आगे बढ़ सकता है. धर्म और ज्योतिष में मंत्रों को महाशक्तिशाली माना गया है. पुराणों में, प्राचीन गाथाओं में जिन अस्त्रों का उपयोग किये जाने का वर्णन है वे दिव्य मांत्रिक शक्ति से युक्त थे. इनके सम्बंधित मंत्र के स्मरण मात्र से कुछ ही क्षणों में यह लक्ष्य भेद कर सर्वनाश करने में सक्षम थे.
24 देवी-देवताओं से सम्बद्ध उन मंत्रों को जानते हैं जो साधक को रोग,कष्ट,आपदा,अभाव से मुक्त करते हैं. विधिपूर्वक इनके जाप से सभी कष्टों का नाश हो जाता है. इन 24 मंत्रों में 24 देवी-देवताओं का वास होना माना गया है. यह मंत्र भूत-प्रेत, चोर डाकू, राज कोप, आशंका, भय, अकाल मृत्यु, रोग तथा अनेक प्रकार की बाधाओं का निवारण करके मनुष्य को सदैव तेजस्वी बनाए रखतें है. इन मंत्रों को प्रतिदिन जपने से सुख, सौभाग्य, समृद्धि तथा ऐश्वर्य की प्राप्ति होती हैं.
गणेश गायत्री
यह मंत्र समस्त प्रकार के विघ्नों का निवारण करने में सक्षम है। मंत्र- ॐ एक दन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि। तन्नो दन्ति प्रचोदयात्।।
नृसिंह गायत्री
इस मंत्र से पुरषार्थ एवं पराक्रम की बृद्धि होती है ।मंत्र- ॐ उग्रनृसिंहाय विद्महे वज्रनखाय धीमहि। तन्नो नृसिंह प्रचोदयात्।।
विष्णु गायत्री
यह मंत्र पारिवारिक कलह को समाप्त करता है । मंत्र- ॐ नारायण विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात् ।।
शिव गायत्री
यह मंत्र सभी प्रकार का कल्याण करने में अद्भूत कार्य कर्ता है। मंत्र- ॐ पंचवक्त्राय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्र प्रचोदयात्।।
कृष्ण गायत्री
यह मंत्र कर्म क्षेत्र की सफलता हेतु बड़ा ही लाभकारी है। मंत्र- ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो कृष्ण प्रचोदयात् ।।
राधा गायत्री
यह मंत्र प्रेम का अभाव दूर करके पूर्णता प्रदान करता है। मंत्र- ॐ वृषभानुजायै विद्महे कृष्णप्रियायै धीमहि। तन्नो राधा प्रचोदयात् ।।
लक्ष्मी गायत्री
यह मंत्र पद-प्रतिष्ठा, यश ऐश्वर्य और धन सम्पति प्रदान करता हैं। मंत्र- ॐ महालक्ष्म्यै विद्महे विष्णुप्रियायै धीमहि। तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्।।
अग्नि गायत्री
यह इंद्रियों की तेजस्विता को बढ़ाता है। मंत्र- ॐ महाज्वालाय विद्महे अग्निदेवाय धीमहि। तन्नो अग्नि प्रचोदयात्।।
इन्द्र गायत्री
यह मंत्र दुश्मनों के हमले से बचाता है। मंत्र- ॐ सहस्त्रनेत्राय विद्महे वज्रहस्ताय धीमहि। तन्नो इन्द्र प्रचोदयात् ।।
सरस्वती गायत्री
इससे ज्ञान-बुद्धि की वृद्धि होती है एवं स्मरण शक्ति बढ़ती है । मंत्र- ॐ सरस्वत्यै विद्महे ब्रह्मपुत्रै धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात् ।।
दुर्गा गायत्री
यह मंत्र दुखः, पीड़ा ही नहीं शत्रुओं का नाश, विघ्नों पर विजय दिलाता हैं। मंत्र- ॐ गिरिजायै विद्महे शिवप्रियायै धीमहि। तन्नो दुर्गा प्रचोदयात्।।
हनुमान गायत्री
यह कर्म के प्रति निष्ठा की भावना जागृत करता हैं । मंत्र- ॐ अंजनी सुताय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि। तन्नो मारुति प्रचोदयात्।।
पृथ्वी गायत्री
यह मंत्र दृढ़ता, धैर्य और सहिष्णुता की वृद्धि करता है। मंत्र- ॐ पृथ्वीदेव्यै विद्महे सहस्त्रमूत्यै धीमहि। तन्नो पृथ्वी
प्रचोदयात्।।
सूर्य गायत्री
इस मंत्र से शरीर के सभी रोगों से मुक्ति मिल जाती है। मंत्र- ॐ भास्कराय विद्महे दिवाकराय धीमहि। तन्नो सूर्य प्रचोदयात्।।
राम गायत्री
इस मंत्र से मान, प्रतिष्ठा बढ़ती है। मंत्र- ॐ दशरथाय विद्महे सीतावल्लभाय धीमहि। तन्नो राम प्रचोदयात्।।
सीता गायत्री
यह मंत्र तप की शक्ति में वृद्धि करता है। मंत्र- ॐ जनकनन्दिन्यै विद्महे भूमिजायै धीमहि। तन्नो सीता प्रचोदयात्।।
चन्द्र गायत्री
यह मंत्र निराशा से मुक्ति दिलाता है और मानसिकता भी प्रबल होती है। मंत्र- ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृतत्त्वाय धीमहि। तन्नो चन्द्र प्रचोदयात्।।
यम गायत्री
इस मंत्र से मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। मंत्र- ॐ सूर्यपुत्राय विद्महे महाकालाय धीमहि। तन्नो यम प्रचोदयात्।।
ब्रह्मा गायत्री
इस मंत्र से व्यापारिक संकट दूर हो जाते है। मंत्र- ॐ चतुर्मुखाय विद्महे हंसारुढ़ाय धीमहि। तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात्।।
वरुण गायत्री
यह मंत्र व्यक्ति के भीतर प्रेम भावना जागृत करता है, जिससे भावनाओं का उदय होता हैं। मंत्र- ॐ जलबिम्वाय विद्महे नीलपुरुषाय धीमहि। तन्नो वरुण प्रचोदयात्।।
नारायण गायत्री
यह मंत्र प्रशासनिक प्रभाव बढ़ता है। मंत्र- ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो नारायण प्रचोदयात्।।
हयग्रीव गायत्री
यह मंत्र समस्त भयो का नाश करता है। मंत्र- ॐ वागीश्वराय विद्महे हयग्रीवाय धीमहि। तन्नो हयग्रीव प्रचोदयात्।।
हंस गायत्री
इस मंत्र से विवेक शक्ति का विकास होता है, बुद्धि भी प्रखर होती है। मंत्र- ॐ परमहंसाय विद्महे महाहंसाय धीमहि। तन्नो हंस प्रचोदयात्।।
तुलसी गायत्री
इस मंत्र से परमार्थ की भावना जाग्रत होती हैं। मंत्र- ॐ श्रीतुलस्यै विद्महे विष्णुप्रियायै धीमहि। तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।
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