Vat Savitri 2024: देशभर में आज यानी 6 जून 2024 को वट सावित्री का व्रत रखा गया है. अपने सुहाग यानी पति की लंबी आयु के लिए इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखती हैं. इसके अलावा कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए भी इस दिन व्रत रखती हैं. इस दिन महिलाएं व्रत रखकर बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं.
वट सावित्री व्रत से नहीं रहता अकाल मृत्यु का भय
बता दें कि, हर साल ज्येष्ठ महीने की अमावस्या के मौके पर वट सावित्री व्रत किया जाता है. सुहागिन महिलाएं इस दिन अखंड सौभाग्य के साथ परिवार की सुख शांति की कामना लेकर व्रत रखती हैं. इस दिन विवाहित महिलाएं सोलह श्रृंगार (Solah Shringar) कर बरगद के पेड़ की पूजा करती है. मान्यता है कि वट सावित्री व्रत करने से यमराज के प्रकोप और अकाल मृत्यु का भय भी नहीं रहता है. इस दिन महिलाओं को व्रत के साथ वट वृक्ष की पूजा और परिक्रमा (Parikarma) जरूर करनी चाहिए, जिससे मां सावित्री और त्रिदेव का आशीर्वाद मिलता है.
आज विभिन्न इलाकों में वट सावित्री पर्व को लेकर महिलाओं में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. उत्तराखंड के कई मंदिरों में भी महिलाओं ने सामूहिक रूप से पूजा अर्चना की. इस मौके पर सुहागिन महिलाओं और कुंवारी कन्याओं ने वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा की. साथ ही वट सावित्री का व्रत भी रखा.
बता दें कि आज कुमाऊं के कई जिलों में वट सावित्री का व्रत रखा गया और पूजा अर्चना हुई. वहीं नैनीताल जिले के रामनगर, कालाढुंगी, हलद्वानी आदि के विभिन्न स्थानों में भी वट सावित्री व्रत को लेकर महिलाओं में काफी उत्साह देखने को मिला तो वहीं महिलाओं ने मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना कर अपने पति की दीर्घायु की कामना की. सुहागिनों ने पुजारी से वट सावित्री व्रत से जुड़ी कथा सुनी. साथ ही इस व्रत के महत्व के बारे में जानकारी प्राप्त की.
वट सावित्री का व्रत हर सुहागिन महिलाएं रखती हैं. पूजा अर्चना के बाद शाम को जल ग्रहण करने के उपरांत इस व्रत का समापन किया जाता है. आज महिलाएं मंदिर में पर्व को लेकर कुमाऊंनी परिधान में सजधज कर पहुंचीं. उन्होंने अपने पतियों की दीर्घायु होने की कामना के साथ ही परिवार में सुख-शांति को लेकर भगवान से प्रार्थना की.
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