Maghi Amavasya: माघ माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या को मौनी या माघ अमावस्या कहते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मनुष्य को मौन रहना चाहिए और गंगा, यमुना या अन्य पवित्र नदियों, जलाशय अथवा कुंड में स्नान करना चाहिए. मौनी अमावस्‍या कल यानी  21 जनवरी को मनाई जाएगी.


पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था. मान्यताओं के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन गंगा नदी का जल अमृत के समान हो जाता है. इस दिन गंगाजल में देवताओं का वास होता है. इसलिए इस दिन गंगा स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है. 


पितरों के तर्पण का उत्तम दिन 


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन सूर्योदय से पूर्व किया गया स्नान बहुत पुण्यकारी होता है. इसे श्री हरि को पाने का सुगम मार्ग माना गया है. मौनी अमावस्या को किया गया गंगा स्नान अद्भुत पुण्य प्रदान करता है. मौनी अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करने की भी परंपरा है.


मान्यताओं के अनुसार इस दिन किए गए तर्पण से पितरों की आत्म को शांति मिलती है और वो तृप्त हो जाते हैं. इस दिन गंगा स्नान करने वाले व्यक्तियों को पाप से मुक्ति मिलने के साथ सभी दोषों से भी छुटकारा मिल जाता है. इस दिन मौन धारण करके स्नान, दान, तप और शुभ आचरण करने से मुनिपद की प्राप्ति होती है.


मौनी अमावस्या की पूजन विधि


पौराणित मान्यताओं के मौनी अमावस्या का व्रत करने से अकाल मृत्यु भी टल जाती है. मौनी अमावस्या के दिन स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है. मान्यताओं के अनुसार इस दिन प्रयागराज में जाकर गंगा स्नान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. मौनी अमावस्या के दिन हर व्यक्ति को सूर्योदय से पहले उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए.


अगर ऐसा करना संभव ना हो तो पानी में गंगाजल की कुछ बूदें मिलाकर स्नान करें. प्रात: स्नान के बाद सूर्य देव को जल जरूर अर्पित करें और उनके मंत्रों का जाप करें. इसके बाद किसी जरूरतमंद को अपनी क्षमता अनुसार दान करें और उन्हें भोजन कराएं. इस दिन जितना हो सके श्री हरि का स्मरण करना चाहिए.


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