Astrology: कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में 'शनि' का गोचर, मेदिनी ज्योतिष से जानें इसका फल
Astrology: मेदिनी ज्योतिष के अंतर्गत प्राकृतिक आपदाओं के बारे में जानने की कोशिश की जाती है. वर्तमान समय में शनि कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में गोचर कर रहे हैं. इसका फल क्या होता है,जानते हैं.
Astrology: ज्योतिष के क्षेत्र मे भारतवर्ष सदैव से ही अग्रणी रहा है. मेदिनी ज्योतिष (Medini Jyotish) से प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान लगाया जाता है.
ज्योतिष शास्त्र की ये विधा बेहद लोकप्रिय है. इसे 'मुण्डेन' नाम से भी जानते है. इसके अंतर्गत ग्रहों का गोचर (Gochar), युति (Yuti) और उनकी गणना कर आंधी-तुफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं (Natural Disasters) का विचार किया जाता है.
मेदिनी ज्योतिष (Medini Jyotish) के अनुसार प्राकृतिक आपदाओं के पीछे शनि (Shani) , राहु-केतु (Rahu-Ketu), मंगल (Mangal), बृहस्पति (Guru) जैसे बड़े ग्रहों की भूमिका बहुत विशेष होती है.
यहां पर शनि (Shani Dev) की भूमिका को जानने का प्रयास करेगें. शनि ग्रह वर्तमान समय में कुंभ राशि (Kumbh Rashi) में विराजमान है, जहां पर मंगल ग्रह की युति बनी हुई है.
इसके साथ ही शनि का नक्षत्र गोचर (Shani Gochar), पूर्वाभाद्रपद में हो रहा है. इस नक्षत्र (Nakshtra) में शनि 3 अक्टूबर 2024 तक रहेगें.
शनि (Saturn) की जब ऐसी स्थिति बनती है तो मेदिनी ज्योतिष (Medini Jyotish) क्या कहता है जानते हैं-
लक्ष्मीप्राकार सौख्यं धनकण सहितं देशसोख्यं नृपाणाम्
धर्माधर्मों विधत्ते सुखनिरतजनों मेघपूर्णा धरित्रि।
मांगल्यं सर्व लोके भवति बहुश: सस्यनिष्पत्ति हर्षा,
भूमि रम्या विवाहैर्जनसुखमसमय: कुंभगे सूर्यपुत्रे।।
कुंभ राशि (Kumbh Rashu) में शनि होने पर लक्ष्मी जी (Laxmi Ji) की कृपा रहती है, देश में सुख, धन, राजा प्रजा पर प्रसन्न रहे. धर्म को मानने वाले अधिक हो, पृथ्वी पर वर्षा अधिक हो. विवाहादि मंगल कामों में लोग व्यस्त रहें.
इसके साथ ही यदि शनि पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में हो तो डॉक्टर, वैद्य, कवि, शराब बेचने वाले, खरीद-बिक्री करने वाले और नीतिशास्त्र जानने वाले परेशान होते हैं.
मेदिनी ज्योतिष के अनुसार मंगल ग्रह (Mars) जब भी पृथ्वी के निकट आता है तो तापमान (Temperature) में वृद्धि होती है, मौसम (Weather) में बड़े बदलाव दिखाई देते हैं. वहीं जंगलों में आग (Fire) लगने की घटनाओं भी बढ़ोत्तरी होती है.
इसके साथ ही बुध गोचर (Budh Gochar) के समय भी मौसम में बदलाव देखने को मिलता है. बुध ग्रह जब आश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती नक्षत्रों में हो तो दुखद घटनाएं घटित होने की स्थिति बनती है.
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