Safalta Ki Kunji: तुलसी भरोसे राम के, निर्भय हो के सोए...तुलसीदास के दोहे दिखाते हैं सफलता की राह
Safalta Ki Kunji: गोस्वामी तुलसीदास के दोहे दूरदर्शिता और ऊर्जावान विचारों से सफलता की नई राह दिखाई देती है. तुलसीदास ने अपने दोहे के माध्यम से लोगों को नई सोच और नई ऊर्जा का अनुभव कराया.
Safalta Ki Kunji, Motivational Thoughts In Hindi: आजकल लोग वर्तमान जीवन से ज्यादा भविष्य की चिंता में रहते हैं. इससे वे अपने वर्तमान जीवन को पल भर भी सही ढंग से जी नहीं पाते. जबकि नियति में जो लिखा है वह होकर रहेगा और यह हर व्यक्ति को पता है.
हमारे कई महापुरुषों ने जीवन में सफलता और प्रेरणा के लिए अलग-अलग दिशा दिखाई. उनके विचारों ने लोगों को नई ऊर्जा और सोच का अनुभव कराया. आज भी कई महापुरुषों के विचारों से लोगों को आगे बढ़ने और मुश्किलों का सामना करने की प्रेरणा मिलती है. इन्हीं में एक है गोस्वामी तुलसीदास जी, जिनके ऊर्जा से भरपूर सकारात्मक और प्रेरणादायक विचारों से जीवन बदल जाता है. जानते हैं तुलसीदास जी के ऐसे ही 5 दोहे के बारे में जो कहलाते हैं सफलता की कुंजी.
तुलसी भरोसे राम के, निर्भय हो के सोए।
अनहोनी होनी नही, होनी हो सो होए।
इस दोहे में तुलसीदास कहते हैं, भगवान पर भरोसा करें और किसी भी डर के बिना शांति से सो जाइये. कुछ भी अनावश्यक नहीं होगा और अगर कुछ अनिष्ट होना भी है तो वह घटित होकर रहेगा. इसलिए बेकार की चिंता और उलझन से मुक्त होकर मस्त रहना चाहिए.
तुलसी साथी विपत्ति के विद्या विनय विवेक।
साहस सुकृति सुसत्यव्रत राम भरोसे एक।
अपने इस दोहे के माध्यम से तुलसीदास किसी भी विपदा से बचने के 7 गुणों के बारे में बताते हैं, जोकि इस प्रकार हैं- विद्या, विनय, विवेक, साहस, कर्म, सत्यनिष्ठा और राम भरोसे यानी भगवान के प्रति आपका विश्वास.
तुलसी मीठे बचन ते सुख उपजत चहुं ओर, बसीकरण इक मंत्र हैं परिहरु बचन कठोर।
तुलसीदास कहते हैं. मीठे वचन और मधुर वाणी चारों ओर सुख फैलाते हैं. इसलिए किसी को भी वश में करने का ये एक महत्वपूर्ण मंत्र है. अगर आप सफलता पाना चाहते हैं तो कठोर वचन का त्यागकर मीठे वचन बोलने का प्रयास करें।
नामु राम को कलपतरु कलि कल्यान निवासु।
जो सिमरत भयो भाँग ते तुलसी तुलसीदास।
राम का नाम लेने से ही आपका मन साफ हो जाता है. इसलिए किसी भी काम को करने से पहले राम का नाम जरूर लीजिए. तुलसीदास भी राम का नाम लेते-लेते अपने आप को तुलसी पौधे के समान पवित्र मानने लगे थे.
तुलसी देखि सुबेषु भूलहिं मूढ़ न चतुर नर।
सुंदर केकिहि पेखु बचन सुधा सम असन अहि।
इस दोहे में तुलसीदास कहते हैं. सुंदर रूप देखकर न सिर्फ मूर्ख व्यक्ति बल्कि चतुर व्यक्ति भी धोखा खा जाता है. इसका उदाहरण देते हुए वे कहते हैं- जैसे मोर दिखने में बहुत ही सुंदर लगते हैं लेकिन उनका भोजन जहरीला सांप होता है.
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