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Gautam Buddha: क्यों इतने शांत और नम्र हैं बुद्ध, भगवान बुद्ध की मुद्राएं और हस्त संकेत का क्या है अर्थ?

Gautam Buddha: बुद्ध की मूर्तियां या तस्वीरें शांत व नम्र दिखाई देती है. इसके पीछे क्या रहस्य है, क्या वाकई इसके पीछे कोई संदेश है? आइए जानते हैं

Buddha Amritwani, Buddhist Mudras Hand Gestures in Hindi: आपने महात्मा गौतम बुद्ध की कई तरह की मूर्तियां या तस्वीरें देखी होंगी. लेकिन सभी मूर्तियों और तस्वीरों में वे शांत दिखाई पड़ते हैं. साथ ही मूर्तियों में बुद्ध विभिन्न मुद्राओं और कुछ हस्त संकेत के साथ भी नजर आते हैं. क्या आप जानते हैं कि आखिर क्यों सभी मूर्तियों में शांत नजर आते हैं बुद्ध और क्या है उनकी विभिन्न मुद्राओं और हस्त संकेतों का अर्थ. आइये जानते हैं इसके बारे में.

बुद्ध की मूर्तियां, क्यों शांत और नम्र होती हैं

बुद्ध बचपन से ही शांत और गंभीर स्वभाव के थे. उन्हें बचपन में खेलने-कूदने से ज्यादा एकांत में बैठने और चिंतन करने में रूचि थी. इस कारण उन्होंने सांसारिक और पारिवारिक मोह का त्याग कर दिया. कहा जाता है कि गृह त्याग करने के बाद महात्मा बुद्ध ने छह सालों तक बौद्ध गया में बोधि वृक्ष के नीचे तपस्या की.

उनके मन में कुछ गूढ़ सवाल थे, जिस कारण उन्होंने छह सालों तक तपस्या की और इस दौरान उन्होंने अपने शरीर को खूब तपाया. बुद्ध की तपस्या खत्म होने पर उन्हें सारे सवालों के जवाब भी मिल गए और दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई. जब उन्हें उनके सवालों के जवाब मिल गए तो उनकी सारी इच्छाएं, मोह, क्रोध सबकुछ मिट गया. इसका कारण यह था कि उन्होंने खुद पर जीत हासिल कर ली थी. इसके बाद बुद्ध के मन में कोई नया विचार उत्पन्न नहीं होता था. यदि कोई विचार आता भी तो उत्तर भी बुद्ध के भीतर ही मौजूद होता था. इस कारण बुद्ध का स्वभाव तप करने और सवालों के जवाब प्राप्त करने के बाद पूरी तरह शांत और नम्र हो गया, जैसा कि बुद्ध की प्रतीकात्मक मूर्तियों और तस्वीरों में देखा जाता है.

लेकिन आपने यह भी देखा होगा कि मूर्तियों में बुद्ध शांत और नम्र होने के साथ ही विभिन्न मुद्राओं और हस्त संकेत के साथ नजर आते हैं. जानते हैं बुद्ध की विभिन्न मुद्राओं और हस्त संकेत के अर्थ के बारे में.

बुद्ध की मुद्राएं और हस्त संकेत का अर्थ

धर्मचक्र मुद्रा (Dharmachakra Mudra): इस मुद्रा में बुद्ध दोनों हाथों को सीने के सामने रखते हैं. बाएं हाथ का हिस्सा अंदर की ओर और दाएं हाथ का हिस्सा बाहर की ओर होता है. कहा जाता है कि ज्ञान प्राप्ति के बाद इस मुद्रा का सबसे पहले प्रदर्शन बुद्ध ने अपने पहले धर्मोपदेश सारनाथ में किया था.


Gautam Buddha: क्यों इतने शांत और नम्र हैं बुद्ध, भगवान बुद्ध की मुद्राएं और हस्त संकेत का क्या है अर्थ?

ध्यान मुद्रा (Dhyana Mudra): इसे समाधि या योग मुद्रा भी कहा जाता है. इसमें बुद्ध अपने दोनों हाथों को गोद में रखते हैं. वे अपने दाएं हाथ को बाएं हाथ के ऊपर पूरी तरह से उंगलियां फैलाकर रखते हैं और अंगूठे को ऊपर की ओर रखते हैं. हाथ को इस तरह से रखा जाता है कि दोनों हाथों की उंगुलियां एक दूसरे के ऊपर टिका कर रखा जा सके. यह मुद्रा बुद्ध शाक्यमुनि, ध्यानी बुद्ध अमिताभ और चिकित्सक बुद्धकी विशेषता का संकेत है.


Gautam Buddha: क्यों इतने शांत और नम्र हैं बुद्ध, भगवान बुद्ध की मुद्राएं और हस्त संकेत का क्या है अर्थ?

भूमि स्पर्श मुद्रा (Bhumisparsha Mudra): इस मुद्रा में बुद्ध दाएं हाथ को घुटने पर हथेली को अंदर की ओर रखते हुए भूमि को स्पर्श करते हैं. इसे इंग्लिश में टचिंग द अर्थ भी कहा जाता है. बुद्ध की यह अवस्था ज्ञान प्राप्ति के समय का प्रतिनिधित्व करती है. क्योंकि बुद्ध का कहना है कि उनके ज्ञान प्राप्ति की साक्षी भूमि ही है.


Gautam Buddha: क्यों इतने शांत और नम्र हैं बुद्ध, भगवान बुद्ध की मुद्राएं और हस्त संकेत का क्या है अर्थ?

वरद मुद्रा (Varada Mudra): इस मुद्रा में बुद्ध दाएं हाथ को शरीर से टिकाकर रखते हैं और खुली हथेली और उंगलियों को बाहर की ओर रखते हैं. वहीं बाएं हाथ को बाएं घुटने पर रखा जाता है. यह मुद्रा अर्पण, स्वागत, दान, दया और ईमानदारी का संकेत है.


Gautam Buddha: क्यों इतने शांत और नम्र हैं बुद्ध, भगवान बुद्ध की मुद्राएं और हस्त संकेत का क्या है अर्थ?

करण मुद्रा (Karana Mudra): इस मुद्रा मे तर्जनी और छोटी उंगली को ऊपर उठाते हुए अन्य उंगलियों को मोड़कर किया जाता है. यह मुद्रा बुराई से बचाने की ओर संकेत करती है.


Gautam Buddha: क्यों इतने शांत और नम्र हैं बुद्ध, भगवान बुद्ध की मुद्राएं और हस्त संकेत का क्या है अर्थ?

वज्र मुद्रा (Vajra Mudra): इसमें बाएं हाथ की तर्जनी को दाएं मुट्ठी में मोड़कर और दाएं हाथ की तर्जनी के ऊपरी भाग से दाएं तर्जनी को छूते हुए या चारों ओर घूमाते हुए किया जाता है. बुद्ध की यह मुद्रा उग्र वज्र के पांच तत्वों (वायु, जल, अग्नि, पृथ्वी, और धातु) के प्रतीक को दर्शाती है.


Gautam Buddha: क्यों इतने शांत और नम्र हैं बुद्ध, भगवान बुद्ध की मुद्राएं और हस्त संकेत का क्या है अर्थ?

वितर्क मुद्रा (Vitarka Mudra): इस मुद्रा में बुद्ध अंगूठे के ऊपरी भाग और तर्जनी को मिलाए हुए होते हैं और अन्य उंगलियां सीधी होती है. यह मुद्रा काफी हदतक अभय मुद्रा की तरह होती है. लेकिन इसमें अंगूठा तर्जनी उंगली को छूता है. यह मुद्रा बुद्ध की शिक्षाओं के प्रचार और परिचर्चा का प्रतीक माना जाता है.


Gautam Buddha: क्यों इतने शांत और नम्र हैं बुद्ध, भगवान बुद्ध की मुद्राएं और हस्त संकेत का क्या है अर्थ?

अभय मुद्रा (Abhay Mudra): इसमें दाएं हाथ को कंधे तक उठाकर बांह को मोड़कर किया जाता है और अंगुलियों को ऊपर की ओर उठाकर हथेली को बाहर की तरफ रखते हैं. यह मुद्रा निर्भयता या आशीर्वाद को दर्शाता है, जो सुरक्षा, शांति, परोपकार और भय मुक्ति का प्रतिनिधित्व है.


Gautam Buddha: क्यों इतने शांत और नम्र हैं बुद्ध, भगवान बुद्ध की मुद्राएं और हस्त संकेत का क्या है अर्थ?

उत्तरबोधि मुद्रा (Uttarabodhi Mudra): इस में दोनों हाथ जोड़कर हृदय के पास रखते हैं और तर्जनी उंगलियां एक-दूसरे को छूते हुए ऊपर की ओर होती है. वहीं अन्य उंगलियां अंदर की ओर मुड़ी होती है. यह मुद्रा दिव्य सार्वभौमिक ऊर्जा और सर्वोच्च आत्मज्ञान की प्राप्ति को दर्शाती है.


Gautam Buddha: क्यों इतने शांत और नम्र हैं बुद्ध, भगवान बुद्ध की मुद्राएं और हस्त संकेत का क्या है अर्थ?

अंजलि मुद्रा (Anjali Mudra): इसे नमस्कार मुद्रा या हृदयांजलि मुद्रा भी कहा जाता है. इसमें बुद्ध के हाथ पेट और जांघों के ऊपर होते हैं. दायां हाथ बाएं के आगे होता है. हथेलियां ऊपर की ओर, उंगलियां जुड़ी हुई और अंगूठे एक-दूसरे के अग्रभाग को छूती हुई होती है.


Gautam Buddha: क्यों इतने शांत और नम्र हैं बुद्ध, भगवान बुद्ध की मुद्राएं और हस्त संकेत का क्या है अर्थ?

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Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें. 

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