Modi 3.0: मोदी के पीएम बनने के बाद इस ज्योतिषी ने कर दी बड़ी भविष्यवाणी, सहयोगी दल दे सकते हैं परेशानी!
Modi 3.0: नरेंद्र मोदी (Modi) तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री (PM) बने हैं. तीसरी बार उनका कार्यकाल कैसा रहेगा. क्या उन्हें चुनौतियों या संघर्ष का सामना करना पड़ेगा या सितारे उनके पक्ष में रहेंगे.
Modi 3.0: नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने रविवार, 09 जून 2024 को शाम 7 बजकर15 मिनट पर तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ (PM Modi Oath) ग्रहण की. उस समय की कुंडली वृश्चिक लग्न की है तथा शनि चतुर्थ भाव में शशक महापुरुष राजयोग बना रहा है. पंचम भाव में राहु है छठे भाव में मंगल स्वराशि का है जो लग्न का स्वामी भी है.
सप्तम भाव में बृहस्पति सूर्य बुध तथा शुक्र हैं जिसमें शुक्र और बुद्ध अस्त अवस्था में है. नवम भाव में स्वराशि का चंद्रमा है जो भाग्य योग बन रहा है और एकादश भाव में केतु है.
संघर्षभरा रहेगा तीसरा कार्यकाल
इस कुंडली का विश्लेषण करने पर प्रतीत होता है कि नरेंद्र मोदी के वर्तमान कार्यकाल (Modi Tenure) काफी संघर्ष भरा रहेगा क्योंकि इस समय कुंडली का लग्नेश मंगल छठे भाव में है. लग्नेश का छठे आठवें तथा 12वें में भाव में चले जाना कुंडली को काफी हद तक कमजोर कर देता है. लग्न का स्वामी शत्रु भाव में स्वराशि का है. शत्रुओं पर विजय प्राप्त तो होगी, लेकिन यह अत्यधिक संघर्ष पैदा करने वाली स्थिति रहेगी और लग्नेश मंगल पर शनि (Shani) की दृष्टि भी है जिस कारण सफलता मिलने में बहुत देरी होगी.
द्वितीय भाव का स्वामी सप्तम भाव में है जो दर्शाता है कि भारत की अर्थव्यवस्था (India Economy) को लाभ मिल सकता है और पार्टी (BJP) का भी अच्छा सहयोग मिलेगा. अपनी बुद्धि के बल पर सरकार (Modi 3.0 Government) को चलाने में सक्षम होंगे.
चतुर्थ भाव में स्वराशि का शनि जो शशक महापुरुष राजयोग बना रहा है. यह कानून में संशोधन की तरफ इशारा कर रहा है, समय की मांग के अनुसार पुराने कानून अपडेट किए जा सकते हैं और नए कानून का निर्माण भी किया जाएगा जो देश में अनुशासन की बढ़ोतरी करके अनैतिक गतिविधियों पर नियंत्रण रखेंगे.
राहु बढ़ाएगा मुश्किलें
पंचम भाव में राहु (Rahu) का होना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अच्छा नहीं कहा जाएगा. यह गलत निर्णय की स्थिति पैदा करेगा और वह गलत निर्णय पूरी पार्टी के लिए काफी अधिक नुकसान का कारण बन सकते हैं. विशेष तौर पर शिक्षा के क्षेत्र (Education Sector) में इस प्रकार के काफी नुकसान देखने को मिलेंगे तथा उच्च स्तर के कॉम्पिटेटिव एक्जाम आदि के मसलों में और अधिक वृद्धि हो सकती है. जनसंख्या नियंत्रण (Population Control) के मामले दिक्कत परेशानी कर सकते हैं तथा इस विषय में कड़ा विरोध देखने को मिलेगा.
सप्तम भाव में चार ग्रहों के कारण विदेश से अच्छे संबंध बढ़ाने के योग हैं. आयात-निर्यात संबंधित मामलों में लाभ होगा तथा विदेश नीति में भी सफलताएं बड़े स्तर पर मिलेगी. सूर्य और बृहस्पति का संयुक्त प्रभाव दर्शाता है कि बजट मैं बढ़ोतरी होगी और मोदी जी की कैबिनेट के जितने भी मंत्री होंगे वे अपने-अपने मंत्रालयों से सरकार को धन लाभ करवाएंगे. नई योजनाओं पर पैसा लगाने के योग भी बने हैं, लेकिन शुक्र इस कुंडली में अस्त (Shukra Ast) है इसलिए बड़ी और चमक धमक वाली कमिटमेंट्स पूरी करने में असफलता मिलेगी और बुध अस्त (Budh Ast) होने के कारण देश की अर्थव्यवस्था में कभी-कभी गिरावट देखने को मिलेगी जो जल्दी काबू में नहीं आएगी.
नवम भाव में स्वराशि का चंद्रमा है जिस कारण देश में धार्मिक भावनाओं को लेकर प्रत्येक धर्म के लोगों का ख्याल रखा जाएगा और धर्म संबंधित विषयों पर राजनीति करने से परहेज किया जाएगा. एकादश भाव में केतु (Ketu) होने के कारण विदेश से धन लाभ प्राप्त करने में रूकावटों का सामना करना पड़ेगा तथा कूटनीतियों का सहारा लेना पड़ेगा.
इस कुंडली में लग्नेश मंगल का छठे भाव में चले जाना सबसे कमजोर बिंदु है जो कि विरोधियों का मोदी पर हावी होना दर्शा रहा है. विपरीत पक्ष कड़ी आलोचना से परेशान करेगा तथा ऐसे मुद्दे उखड़ेगा जो कि नरेंद्र मोदी की बड़ी कमियों को भी जनता के सामने लाएंगे तथा मोदी की लोकप्रियता को काफी हद तक काम कर देंगे. इस स्थिति से निकलने के लिए पीएम मोदी को बहुत अधिक दिक्कत का सामना करना पड़ेगा. इसके साथ ही इस कुंडली में शनि की स्थिति चंद्रमा से अष्टम में है जिसे ढैय्या (Shani Dhaiya) कहा जाता है, यह स्थिति मोदी जी का मानसिक बल काफी लंबे समय तक तोड़ती रहेगी.
इस कुंडली के अनुसार 2026-27 का समय नरेंद्र मोदी के लिए काफी अधिक चुनौतियां वाला रहेगा. इस समय जनता उनका समर्थन कम कर सकती है, अपने ही लोगों से विश्वासघात जैसी स्थिति भी देखने को मिल सकती है.
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