जानिए इस नवरात्रि में कैसे रखें उपवास, कैसे पढ़ें दुर्गा सप्तशती और पूर्ण करें व्रत
Navratri 2018: अगर आप अपने आने वाले साल को खुशहाल बनाना चाहते हैं तो मां दुर्गा को इस नवरात्रि प्रसन्न करें. गुरूजी पवन सिन्हा बता रहे हैं कि कैसे आप नवरात्रि में उपवास रखें, क्या न करें और कैसे दुर्गा सप्तशती पढ़ें.
नई दिल्लीः शारदीय नवरात्रि 10 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं. नवरात्रि में 9 दिनों तक भक्तजन मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा-आराधना करते हैं. अगर आप अपने आने वाले साल को खुशहाल बनाना चाहते हैं तो मां दुर्गा को इस नवरात्रि प्रसन्न करें. गुरूजी पवन सिन्हा बता रहे हैं कि कैसे आप नवरात्रि में उपवास रखें, क्या न करें और कैसे दुर्गा सप्तशती पढ़ें.
उपवास का सही तरीका नवरात्रि में उपवास जरूर रखें. हिंदू धर्म में उपवास हठयोग का साधन है. सामान्य उपवास में रात के भोजन से परहेज करना चाहिए. सामान्य उपवास में सूर्यास्त होने के 48 मिनट के अंदर भोजन कर लेना चाहिए. भक्त उपवास में सूर्यास्त के पहले हल्का भोजन लें. उपवास में साधक 8 ग्रास, वानप्रस्थि 16 ग्रास और गृहस्थ लोग 32 ग्रास भोजन सूर्यास्त से पहले कर सकते हैं. नक्त उपवास में सूर्योदय के डेढ़ मूहुर्त के अंदर ही भोजन करना होता है. नक्त उपवास में भूख लगने पर भूख का चौथाई हिस्सा ही खाते हैं. अयाचित व्रत में दूसरों के देने पर भोजन करते हैं.
दुर्गा सप्तशती पढ़ने का सही तरीका दुर्गा सप्तशती वकार विधि से पढ़ें. दुर्गा सप्तशती दोपहर 11:00 - 02:00 बजे के बीच पढ़ सकते हैं. दुर्गा सप्तशती रात 08:00 - 11:30 बजे के बीच भी पढ़ सकते हैं. दुर्गा सप्तशती रात 11:30 - 02:30 बजे के बीच पढ़ सकते हैं. दुर्गा सप्तशती रात 11:30- 02:30 बजे के दौरान पढ़ने से विशेष लाभ होता है.
- पहले दिन दुर्गा सप्तशती का पहला अध्याय पढ़ें.
- दूसरे दिन दुर्गा सप्तशती का दूसरा और तीसरा अध्याय पढ़ें.
- तीसरे दिन दुर्गा सप्तशती का चौथा अध्याय पढ़ें.
- चौथे दिन दुर्गा सप्तशती का पांचवा, छठा, सातवां और आठवां अध्याय पढ़ें.
- पांचवें दिन दुर्गा सप्तशती का नवां और दसवां अध्याय पढ़ें.
- छठे दिन दुर्गा सप्तशती का ग्याहरवां अध्याय पढ़ें.
- सातवें दिन दुर्गा सप्तशती का बारहवां और तेरहवां अध्याय पढ़ें.
- आठवें और नौवें दिन दुर्गा सप्तशती का पुर्नवलोकन करें.
- नवरात्र में सांसारिक जीवन त्याग दें.
- दसवें दिन ही उपवास तोड़ें.
- दसवें दिन यज्ञ करके ही उपवास तोड़ें.
- कंजकों को खिलाने के बाद ही खुद खा सकते हैं.