नई दिल्लीः 18 मार्च 2018 यानि कल से चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ होने जा रहा है. कल का दिन बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि कल गुड़ी पड़वा और चैत्र नवरात्रि का पहला दिन है. नवरात्रि के पहले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बना रहा है. सर्वार्थ सिद्धि योग को शास्त्रों में बहुत ही शुभ माना गया है. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि चैत्र नवरात्र का महत्व क्या है. आज गुरूजी पवन सिन्हा बता रहे हैं कैसे आप चैत्र नवरात्रि की तैयारी करें. कैसे करें देवी मां की आराधना कर उन्हें प्रसन्न करें. साथ ही ये भी जानिए घट स्थापना का मुहूर्त क्या है और नौ दिन किन देवियों की पूजा करें.
जानिए ये अहम बातें-
18 मार्च प्रतिपदा का दिन है और नवरात्रि के पहले दिन रविवार पड़ रहा है. शिवपुराण के मुताबिक, धरती रविवार को प्रकट हुई थी. तो कोई भी कार्य शुरू करने से पहले मां की आराधना करें. यदि आप कलश स्थापना और शैलपुत्री की पूजा करेंगे तो आपको विशेष लाभ मिलेगा. आप कल से कोई शुभ काम करना चाहते हैं तो कर सकते हैं. इस योग में शुरू किया गया शुभ कार्य जल्दी पूरा होता हैं. अष्टमी और नवमी की तिथि 25 को एक साथ पड़ रही हैं इसलिए इस बार चैत्र नवरात्रि 8 दिनों की होगी.
नवरात्रि में करें इन देवियों की पूजा-
18 मार्च को देवी शैलपुत्री
19 मार्च को मां ब्रह्मचारिणी
20 मार्च को मां चंद्रघंटा
21 मार्च को मां कुष्मांडा
22 मार्च को कात्यायनी
23 मार्च को स्कंदमाता
24 मार्च को मां कालरात्रि
25 मार्च को मां गौरी और रामनवमी की पूजा करनी है
26 मार्च को नवरात्रि पारण है
आप कन्याओं को किसी भी दिन भोजन करा सकते हैं. दसवीं के दिन उपवास कि विधि पूरी होती है. यज्ञ किए बिना उपवास खोलने पर नवरात्रि पूजा का महत्व नहीं है. नौ रातों की पूजा के बाद दसवीं के दिन यज्ञ के बाद आप उपवास खोलेंगे.
ये है घटस्थापना का समय-
सुबह 6.48 बजे से 8.11 बजे के बीच घटस्थापना करें. 1 घंटा 23 मिनट का मुहूर्त है. घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि पर निर्धारित है.घटस्थापना मुहूर्त द्वि-स्वभाव मीन लग्न के दौरान शाम 6.31 बजे तक प्रतिपदा तिथि रहेगी इससे पहले घटस्थापना कर लें.
यूं करें नवरात्रि की तैयारी-
- यदि आप किसी तीर्थ यात्रा पर जाना चाहते हैं तो जा सकते हैं.
- घर में अखंड ज्योति जलाएं इससे आपका शुभ होगा.
- कलश में जलकर रखें.
- घर में साफ-सफाई करें और रंगोली बनाएं.
- पूजा करने वाले स्थान की सफाई अच्छे तरीके से करें.
- सूर्योदय के सूर्य को वक्त जल चढ़ाएं.
- अपने धर्मध्वज को प्रणाम करें और स्थापना करें.
- मां की स्थापना करें.
- दाहिनी और कलश होना चाहिए.
- मिट्टी और रेत मिलाकर ज्वार खेतर जरूर बोएं.
- मां को जल, दूध और शहद से नहलाएं.
मां की आराधना करते हुए इस का जाप करें-
''ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।''
ये एक्सपर्ट के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें.