Navratri 2021: मां सिद्धिदात्री की पूजा से होती है केतु की शांति, कालसर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति जरूर करें ये उपाय
Chaitra Navratri 2021: 21 अप्रैल 2021 को चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि है. नवमी की तिथि मां सिद्धिदात्री को समर्पित है. जिन लोगों के जीवन में केतु उथल पुथल की स्थिति बनाएं हुए हैं, उन्हें इस दिन मां सिद्धिदात्री की अवश्य पूजा करनी चाहिए. नवमी के दिन विशेष संयोग भी बन रहा है.
Chaitra Navratri 2021: राहु और केतु को ज्योतिष शास्त्र में पाप ग्रह और छाया ग्रह माना गया है. राहु और केतु के मध्य जब सभी ग्रह आ जाते हैं तब जन्म कुंडली में कालसर्प दोष का निर्माण होता है. कालसर्प दोष को ज्योतिष शास्त्र में एक अशुभ योग माना गया है. राहु केतु जब अशुभ स्थिति में होते हैं तो व्यक्ति को जीवन में पग-पग पर परेशानी उठानी पड़ती है.
नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा करने से ये दोनों ही ग्रह शांत होते हैं. मान्यता के अनुसार मां महागौर की पूजा से जहां राहु ग्रह की शांति होती हैं. वहीं मां सिद्धिदात्री की विधि पूर्वक पूजा करने से केतु ग्रह की अशुभता दूर होती है. ये दोनों छाया ग्रह मानें जाते हैं. माता दुर्गा को भी छायारूपेण कहा गया है. इसलिए मां की पूजा करने से ये दोनों ही ग्रह शुभ फल प्रदान करते हैं. कलयुग में इन दोनों ही ग्रहों की भूमिका अहम मानी गई है.
कालसर्प दोष
राहु और केतु से जन्म कुंडली में कालसर्प दोष बनता है. जिस व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष बनता है, उसे छोटी-छोटी चीजों के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है. यानी सरल और आसान चीजों को पाने के लिए भी उसे लंबा इंतजार करना पड़ता है. इतना ही नहीं, धन की हानि भी करता है. गंभीर रोग का कारण भी बनता है. तनाव, भ्रम और अज्ञात भय की स्थिति सैदव बनी रहती है. इसलिए इसका उपाय अत्यंत जरूरी हो जाता है.
मां सिद्धिदात्री की पूजा से केतु को करें शांत
पंचांग के अनुसार 21 अप्रैल को चैत्र शुक्ल की नवमी तिथि है. चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि मां सिद्धिदात्री को समर्पित है. इस दिन प्रात: काल स्नान करने के बाद पूजा आरंभ करें. विशेष बात ये है कि बुधवार के दिन नवमी तिथि पड़ रही है. बुधवार का दिन गणेश जी को समर्पित है. गणेश पूजा से भी केतु की अशुभता दूर होती है. इसलिए ये विशेष संयोग बन रहा है.
मां सिद्धिदात्री का मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:.