Navratri 2021: 12 अक्टूबर को नवरात्रि के सातवें दिन की जाएगी मां 'कालरात्रि' की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त और आरती
Navratri 2021 7th Day: 12 अक्टूबर 2021 को नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि (Maa Kalratri) की पूजा की जाएगी. पंचांग के अनुसार इस दिन का आइए जानते हैं, पूजा का मुहूर्त महत्व, मंत्र और आरती.
Navratri 2021: नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है. नवरात्रि के पर्व को हिंदू धर्म में विशेष माना गया है. 12 अक्टूबर 2021, मंगलवार को पंचांग के अनुसार आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि है. सप्तमी की तिथि को नवरात्रि के सातवे दिन की पूजा की जाती है. सप्तमी तिथि नवरात्रि में मां कालरात्रि को समर्पित है. इस दिन मां कालरात्रि की पूजा करने से जीवन में आने वाली परेशानियां दूर होती हैं.
नवरात्रि में मां कालरात्रि की पूजा का महत्व
शास्त्रों में मां कालरात्रि को संकटों और विघ्न को दूर करने वाली देवी माना गया है. इसके साथ ही मां कालरात्रि को शत्रु और दुष्टों का संहार करने वाला भी बताया गया है. नवरात्रि में मां कालरात्रि की पूजा करने से तनाव, अज्ञात भय और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है.
मां काली का स्वरूप (Maa Kalratri)
मां कालरात्रि का रंग कृष्ण वर्ण है. कृष्ण वर्ण के कारण ही इन्हें कालरात्रि कहा जाता है. मां कालरात्रि की 4 भुजाएं हैं. पौराणिक कथा के अनुसार असुरों के राजा रक्तबीज का संहार करने के लिए दुर्गा मां ने मां कालरात्रि का रूप लिया था.
नवरात्रि-पूजा विधि (Maa Kalratri Puja)
आश्वनि मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी की सुबह स्नान करने के बाद पूजा आरंभ करनी चाहिए. मां कालरात्रि की पूजा में अुशासन और स्वच्छता के नियमों का विशेष पालन करना चाहिए. मां कालरात्रि की पूजा में मिष्ठान, पंच मेवा, पांच प्रकार के फल,अक्षत, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ नैवेद्य आदि का अर्पण किया जाता है. इस दिन गुड़ का विशेष महत्व बताया गया है. मां कालरात्रि को लाल रंग प्रिय है. इस दिन पंचांग के अनुसार अभिजीत मुहूर्त प्रात: 11:44:20 से दोपहर 12:30:41 तक रहेगा.
मां कालरात्रि को प्रसन्न करने के मंत्र (Maa Kalratri Mantra)
- ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम: .
- ॐ कालरात्र्यै नम:
- ॐ फट् शत्रून साघय घातय ॐ
- ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं दुर्गति नाशिन्यै महामायायै स्वाहा।
मां कालरात्रि की आरती (Maa Kalratri Aarti)
कालरात्रि जय जय महाकाली
काल के मुंह से बचाने वाली
दुष्ट संहारिणी नाम तुम्हारा
महा चंडी तेरा अवतारा
पृथ्वी और आकाश पर सारा
महाकाली है तेरा पसारा
खंडा खप्पर रखने वाली
दुष्टों का लहू चखने वाली
कलकत्ता स्थान तुम्हारा
सब जगह देखूं तेरा नजारा
सभी देवता सब नर नारी
गावे स्तुति सभी तुम्हारी
रक्तदंता और अन्नपूर्णा
कृपा करे तो कोई भी दु:ख ना
ना कोई चिंता रहे ना बीमारी
ना कोई गम ना संकट भारी
उस पर कभी कष्ट ना आवे
महाकाली मां जिसे बचावे
तू भी 'भक्त' प्रेम से कह
कालरात्रि मां तेरी जय
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