Matsya Jayanti 2022 : भगवान विष्णु ने मत्स्य के रूप में लिया था पहला अवतार, जानें मत्स्य अवतार की कथा और शुभ मुहूर्त
2022 Matsya Jayanti Pooja Date and Time : नवरात्रि (Navratri 2022) का पर्व आरंभ हो चुका है. 3 अप्रैल को चैत्र मास की तृतीया तिथि है. इसी दिन मनाई जाएगी,मत्स्य जयंती (Matsya Jayanti 2022).
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Matsya Jayanti 2022 : पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु के 23 अवतारों में मत्स्य अवतार को पहला अवतार माना गया है. माना जाता है कि जब पृथ्वी पर भक्तों को कष्ट होता है और कुछ भी अनिष्ट होता है भगवान विष्णु अवतार लेकर बुरी शक्तियों का विनाश करते हैं. मत्स्य अवतार इसी बात का प्रमाण है.
मत्स्य जयंती 2022 (Matsya Jayanti 2022)
पंचांग के अनुसार 3 अप्रैल चैत्र माह (Chaitra 2022) के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि है. इसी दिन मत्स्य जयंती मनाई जाती है. कुछ स्थानों पर 04 अप्रैल को भी मत्स्य जयंती मनाई जा रही है. आइए जानते हैं मत्स्य जयंती का शुभ मुहूर्त -
मत्स्य जयंती 3 को मनाई जाएगी या 4 अप्रैल ? (Matsya Jayanti Pooja Date and Time)
हिंदू कैंलेडर के मुताबिक चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 03 अप्रैल 2022, रविवार को दोपहर 12 बजकर 38 मिनट पर आरंभ हो रही है. तृतीया तिथि का समापन 04 अप्रैल को दोपहर 01 बजकर 54 मिनट पर होगा. तिथि का प्रारंभ 03 अप्रैल से हो रहा है, अत: 03 अप्रैल को मत्स्य जयंती मनाई जाएगी. मान्यता के अनुसार पूजा पाठ के लिए उदयातिथि की मान्यता बताई गई है, यही कारण है कि कुछ स्थानों पर 4 अप्रैल को मत्स्य जयंती मनाई जाएगी.
मत्स्य जयंती 2022 शुभ मुहूर्त (Matsya Jayanti Muhurat 2022)
पंचांग के अनुसार 03 अप्रैल 2022 को मत्स्य जयंती के लिए ढाई घंटे का शुभ मुहूर्त बना हुआ है. इस दिन मत्स्य जयंती का मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 40 मिनट से शाम 04 बजकर 10 मिनट तक है. इसके साथ् ही 3 अप्रैल 2022 को सर्वार्थ सिद्धि योग प्रात: 06 बजकर 09 मिनट से दोपहर 12 बजकर 37 मिनट तक है. इस दिन का शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजे से लेकर दोपहर 12 बजकर 50 मिनट बना हुआ है.
मत्स्य अवतार की कथा (Matsya Avatar Story)
मत्स्य अवतार जीवन में ज्ञान के महत्व को बताता है.पौराणिक कथा के अनुसार जब कश्यप और दिति के दैत्य पुत्र वेदों को छीनकर समुद्र में जानें लगे तो भगवान विष्णु ने वेदों को पुन: प्राप्त करने के लिए मत्स्य अवतार लिया और मकर दैत्यों से युद्ध लड़ा. अंत में विजय हुई. इसके बाद भगवान विष्णु ने वेदों को अपने कब्जे में लेने के बाद इन वेदों को व्यवस्थित करने के लिए महर्षि वेदव्यास को सौंप दिया. जिसे बाद में विभिन्न भोगों में बांटकर जनकल्याण के लिए समर्पित कर दिया.
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