Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि के बाद अब आषाढ़ महीने में होगी गुप्त नवरात्रि, जानिए 10 महाविद्या की साधना का महत्व
Ashadh Gupt Navratri 2023: चैत्र महीने में पड़ने वाली नवरात्रि में नौ दिनों के पूजा-व्रत संपन्न होने के बाद अब आषाढ़ महीने में गुप्त नवरात्रि की शुरुआत होगी. इसमें 10 महाविद्याओं की उपासना की जाती है.
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Ashadh Gupt Navratri 2023, Date, Muhurat and 10 mahavidya Puja Importance: भक्त प्रतिदिन वैसे तो माता रानी की पूजा-अराधना करते हैं. लेकिन बात करें मां भगवती की पूजा के विशेष अवसर यानी नवरात्रि की तो पूरे साल में चार बार नवरात्रि होती है. इसमें दो गुप्त नवरात्रि और दो प्रकट नवरात्रि होती है. माघ और आषाढ़ महीने में पड़ने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है. वहीं चैत्र माह की नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि और अश्विन माह की नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहा जाता है.
इस साल चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 22 मार्च को हुई थी, जिसका समापन 30 मार्च 2023 को हुआ. चैत्र नवरात्रि में भक्तों द्वारा पूरे नौ दिनों तक माता रानी के नौ रूपों की पूजा की गई और व्रत रखे गए. अब इसके बाद आषाढ़ महीने में गुप्त नवरात्रि होगी. बता दें कि 19 जून 2023 से आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत होगी, जिसका समापन 28 जून 2023 को होगा. जानते हैं प्रकट नवरात्रि से कैसे अलग है गुप्त नवरात्रि.
गुप्त नवरात्रि और प्रकट नवरात्रि में अंतर
चैत्र और अश्विन महीने में पड़ने वाली नवरात्रि को प्रकट, उदय, प्रमुख और बड़ी नवरात्रि के नाम से जाना जाता है. वहीं माघ और आषाढ़ महीने में पड़ने वाली नवरात्रि गुप्त नवरात्रि कहलाती है. प्रकट नवरात्रि में घर-मंदिर, पंडाल जैसे स्थानों पर मां भगवती की पूजा होती है और हर व्यक्ति इस पूजा को कर सकता है. लेकिन गुप्त नवरात्रि में गुप्त तांत्रिक सिद्धियां पाने और इच्छापूर्ति के लिए 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है. इसकी साधना-उपासना को गुप्त रखा जाता है, इसलिए भी इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है.
कब है आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2023
आषाढ़ महीने में गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 19 जून 2023 से होगी. इसी दिन घटस्थापना की जाएगी. घटस्थापना के लिए सुबह 06:05-08:04 का मुहूर्त शुभ है.
गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की पूजा का महत्व
- पहली महाविद्या: गुप्त नवरात्रि के पहले दिन मां काली की साधना होती है. इन्हें 10 महाविद्याओं में प्रथम माना गया है. माता काली की साधना से साधक को विरोधियों और शत्रुओं पर विजय प्राप्ति होती है.
मंत्र – ॐ हृीं श्रीं क्रीं परमेश्वरि कालिके स्वाहा।। - दूसरी महाविद्या: नवरात्रि के दूसरे दिन दूसरी महाविद्या माता तारा की साधना की जाती है. मान्यता है कि सबसे पहले महर्षि वशिष्ठ ने महाविद्या तारा की उपासना की थी. इन्हें तांत्रिकों की देवी माना गया है. इस देवी की आराधना से आर्थिक उन्नति और मोक्ष प्राप्ति होती है
मंत्र – ऊँ हृीं स्त्रीं हुम फट् ।। - तीसरी महाविद्या: तीसरे दिन तीसरी महाविद्या माता त्रिपुरा सुंदरी की साधना होती है. इन्हें ललिता या राज राजेश्वरी भी कहा जाता है.
मंत्र– ऐं हृीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः ।। - चौथी महाविद्या: गुप्त नवरात्र के चौथे दिन चौथी महाविद्या माता भुवनेश्वरी की साधना होती है. संतान सुख की इच्छा वाले दंपत्ति के लिए माता भुवनेश्वरी की साधना फलदायी होती है.
मंत्र– हृीं भुवनेश्वरीयै हृीं नमः ।। - पांचवी महाविद्या: पांचवी महाविद्या माता छिन्नमस्ता की साधना गुप्त नवरात्रि के पांचवे दिन होती है. इनकी साधना अगर शांत मन से की जाए तो माता शांत स्वरूप में होती है और उग्र रूप से की गई साधना से माता के उग्र रूप के दर्शन होते हैं
मंत्र – श्रीं हृीं ऐं वज्र वैरोचानियै हृीं फट स्वाहा।। - छठी महाविद्या: छठी महाविद्या माता त्रिपुरा भैरवी हैं. इनकी साधना से जीवन के सभी बंधनों से मुक्ति मिलती है.
- सातवीं महाविद्या: सातवीं महाविद्या के रूप में गुप्त नवरात्रि में मां धूमावती की साधना होती है. इनकी साधना से सभी संकट दूर हो जाते हैं. इनकी साधना करने वाला महाप्रतापी और सिद्ध पुरुष कहलाता है.
मंत्र – ऊँ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहाः - आठवीं महाविद्या: आठवीं महाविद्या को बगलामुखी कहा गया है. मां बगलामुखी की साधना से भय से मुक्ति मिलती है. साथ ही वाक सिद्धियां प्राप्त होती है.
मंत्र – ऊँ हृीं बगुलामुखी देव्यै हृीं ओम नमः - नौवीं महाविद्या: 10 महाविद्याओं में मातंगी नौवीं महाविद्या हैं. इनकी साधना से गृहस्थ जीवन में खुशहाली आती है.
मंत्र- ऊँ ह्नीं ऐ भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा ।। - दसवीं महाविद्या: माता कमला को दसवीं महाविद्या कहा गया है. इनकी साधना से धन, नारी और पुत्र की प्राप्ति होती है.
मंत्र- ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः।
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