Navratri Shanivar Special: हिंदू धर्म में शनिवार के दिन शनि देव की पूजा का विधान है. शनि देव की पूजा से जातकों पर शनि का बुरा प्रभाव कम होता है. नवरात्रि का समय शक्ति, साधना, पूजा एवं आराधना का समय होता है. मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि के दौरान पूजा का लाभ कई गुना बढ़ जाता है. आज शारदीय नवरात्रि का शनिवार है. इस दौरान शनिदेव की पूजा करने से वे जातकों पर अति प्रसन्न होते हैं. नवरात्रि के शनिवार के दिन मां दुर्गा के साथ-साथ शनि देव की भी इन मंत्रों के साथ पूजा करने से शनि दोष दूर होता है और घर में समृद्धि आती है.
धार्मिक मान्यता है कि शनिवार को काले तिल के साथ शनि देव की पूजा की जाय तो सारे कष्ट दूर हो जाते है. जिस किसी की कुंडली में शनि दोष हो तो उसे शनि देव की पूजा अर्चना करनी चाहिए. उनकी पूजा यदि इन मंत्रों के द्वारा की जाये तो शनि की असीम कृपा होती है. आइये जानें शनिदेव के मंत्रों के बारे में.
शनिदेव से जुड़े मंत्र
शनि देव का महामंत्र : ये शनिदेव को प्रसन्न करने का महामंत्र है, मान्यता है कि इसका 108 बार जाप करना चाहिए.
ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥
गायत्री मंत्र: शनिदेव के गायत्री मंत्र का जाप करते समय शनि को काले तिल और सरसों का तेल अर्पित करें. मान्यता है कि ऐसा करने से भक्तों के सभी कष्ट और संकट दूर हो जाते हैं.
मंत्र: ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।
ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः।
सेहत के लिए शनि मंत्र
ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिहा।
कंकटी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा।।
शनैर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्।
दुःखानि नाश्येन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखमं।।
वैदिक मंत्र: जिस जातक के ऊपर शनि की महादशा चल रही है उसे इस मंत्र का जाप करना चाहिए. इससे महादशा से मुक्ति मिल जाती है.
ऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।
पौराणिक मंत्र
ऊँ ह्रिं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।
छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
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