आज कल लोग घरों में अटैच टॉयलेट और बाथरूम बनवाना ज्यादा पसंद करते हैं. आज के दौर में जगह की कमी के कारण सिकुड़ते जा रहे घरों में यह काफी सुविधाजनक होते हैं. धीरे धीरे ये प्रचलन काफी बढ़ता जा रहा है.लेकिन वास्तु शास्त्र के मुताबिक ये बिल्कुल भी उचित नहीं है. कहते हैं घर में शौचालय और स्नानघर भी वास्तु सम्मत होने ज़रुरी हैं. ताकि जीवन में आने वाली परेशानियां कुछ हद तक कम हो सके. लेकिन अचैट बाथरूम और टॉयलेट के प्रचलन ने घर में वास्तु दोषों को और भी बढ़ा दिया है. सबसे पहले आपको बताते हैं अटैच टॉयलेट और बाथरूम से होने वाली परेशानियों के बारे में.
मन और शरीर दोनों ही होते हैं प्रभावित
कहते हैं अटैच टॉयलेट और बाथरूम होने का असर घर में रहने वाले लोगों के मन और शरीर दोनों पर पड़ता है. इसके पीछे भी एक कारण है. स्नानघर में चंद्रमा का वास माना जाता है, जबकि शौचालय में राहू का वास. अगर दोनों को एक साथ बना दिया जाए तो चंद्रमा ग्रहण के कारण दोषपूर्ण हो जाता है. चूंकि चंद्रमा मन का कारका है और राहु विष का कारक. लिहाज़ा जल और विष की युति घर और घर में रहने वाले लोगों के लिए ठीक नहीं मानी जाती. मन के साथ साथ इसके बुरे परिणाम शरीर पर भी पड़ते हैं.
अटैच बाथरूम - टॉयलेट से लगने वाले वास्तु दोष
- अगर आपके घर में स्नानघर और शौचालय अटैच है तो घर के सदस्यों के बीच अक्सर मनमुटाव बना रहेगा.
- खासतौर से पति पत्नी के बीच वाद विवाद की स्थिति बनी रहती है.
- घर के भीतर अटैच टॉयलेट और बाथरूम से घर में नकारात्मकता आती है.
- आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है और घर के सदस्यों की तरक्की के रास्ते बंद होते जाते हैं.
- एक एक कर सदस्यों के स्वास्थ्य में गिरावट आने लगती है.
किस दिशा में बाथरूम बनाना होता है उपयोगी
वास्तु शास्त्र की मानें तो किसी भी भवन की पूर्व दिशा में ही बाथरूम उपयुक्त माना गया है. जबकि शौचालय दक्षिण या फिर दक्षिण-पश्चिम दिशा के होना चाहिए. चूंकि दक्षिण-दक्षिण-पश्चिम दिशा को विसर्जन के लिए सही माना गया है. लिहाज़ा यहां टॉयलेट का निर्माण उचित रहता है.
ये कर सकते हैं उपाय
वहीं अगर आपके घर में पहले से ही अटैच टॉयलेट और बाथरूम है. तो दोबारा तोड़कर उसे बनाने में काफी खर्चा आ सकता है. ऐसे में वास्तु दोष से बचने के लिए आप एक उपाय कर सकते हैं. आप दोनों के बीच एक पर्दा लगाकर उनमें पार्टिशन कर सकते हैं. इससे आप वास्तु दोष से बच जाएगे.