Kundali Bhagya: नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की इंटरनेट पर उपलब्ध कुंडली के अनुसार इनका जन्म 1 मार्च 1951 को दोपहर 1:20 पर बख्तियारपुर में हुआ, जिसके अनुसार उनकी कुंडली मिथुन लग्न और वृश्चिक राशि की है. 


भाग्य स्थान में सूर्य, बृहस्पति, राहु और बुध बैठे हैं, जहां पर वर्तमान में वक्री शनि (Shani Vakri) का गोचर हो रहा है. एकादश भाव में बृहस्पति और राहु गोचर कर रहे हैं. कुंडली (Kundli) में शनि (Shani Dev) चौथे भाव में और मंगल दसवें भाव में शुक्र के साथ विराजमान हैं. चतुर्थ भाव के शनि सिंहासन प्राप्ति करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. यही कारण है कि वह मुख्यमंत्री (Chief Minister of Bihar) जैसे पद पर सुशोभित हैं. 


मंगल महाराज छठे भाव के स्वामी होकर दशम भाव में मित्र राशि मीन (Pisces) में विराजमान हैं जो उन्हें मजबूत बनाते हैं और अपने जीवन में संघर्ष के बाद जीवन में अच्छी सफलता प्रदान करने में सक्षम हैं.




सप्तम भाव के स्वामी होकर देवगुरु बृहस्पति (Jupiter), राहु और केतु (Rahu-Ketu) के प्रभाव में हैं और सूर्य (Sun) और बुध (Mercury) के साथ स्थित हैं. इस कारण से ये कई बार अलग-अलग तरह से गठबंधन करके सरकार बना लेते हैं लेकिन उसके बावजूद भी उनका कद हमेशा ऊंचा ही रहता है और कई बार इसी वजह से उनके गठबंधन लंबे समय तक नहीं चल पाते हैं.


यदि वर्तमान स्थिति में देखें तो चंद्रमा (Moon) से चौथे भाव और लग्न से नवम भाव में शनि देव (Saturn) का गोचर अपनी ही राशि में हो रहा है. यह उनके लिए एक अनुकूल स्थिति है लेकिन यह गोचर जन्म कालीन राहु, बृहस्पति, सूर्य और बुध के ऊपर हो रहा है जो कि अनुकूलता लिए हुए नहीं कहा जा सकता है. इस कारण उनकी राह में अनेक बाधाएं आ सकती हैं और प्रधानमंत्री (PM) पद की दौड़ में कूटनीति का प्रयोग करने के बावजूद उनको सिर्फ प्रतीक्षा ही करनी पड़ सकती है.




उनके सहयोगी जो वर्तमान में उनके साथ दे रहे हैं, संभव है कि भविष्य में वह अपने-अपने निजी हित के कारण उनसे अलग हो जाएं. इस बारे में भी उन्हें सोचना होगा. हालांकि उनकी कुंडली एक मजबूत कुंडली है, जो उन्हें बार-बार पद की प्राप्ति कराती है क्योंकि गुरु और सूर्य का संयोग बुध के साथ होने से और शनि के चतुर्थ भाव में होने से तथा सबसे अच्छी बात चतुर्थेश बुध का नवमेश शनि से राशि परिवर्तन होने के कारण बनने वाला बड़ा राजयोग (Rajyog) उनके लिए कई बार असाधारण परिस्थितियों का निर्माण करता है, जो उन्हें पद प्राप्ति करा देता है. आने वाली ग्रह स्थितियों को देखते हुए उन्हें भीतरघात का सामना भी करना पड़ सकता है. 


30 अक्टूबर के बाद राहु मेष राशि से निकलकर मीन राशि में आएंगे, तब एकादश भाव के बृहस्पति उनके लिए बहुत लाभदायक होंगे. वह धर्म से जुड़ी कुछ बातों में ज्यादा संलग्न होंगे जिसका उन्हें सैद्धांतिक रूप से लाभ होगा लेकिन राहु (Rahu) का गोचर जन्म कालीन मंगल और शुक्र (Venus) के ऊपर होगा और शनि से सप्तम भाव में होगा. इस प्रकार शनि और राहु के जो गोचर हैं, वह ज्यादा अनुकूल परिस्थिति में न होने के कारण प्रधानमंत्री पद की दौड़ में उन्हें केवल प्रतीक्षा ही करनी पड़ सकती है.