Guru Margi 2022, Jupiter Retrograde 2022: ज्योतिष शास्त्र में कुल 9 ग्रह और 12 राशियों के आधार पर गणनाएं की जाती हैं.ज्योतिष शास्त्र में देवगुरु बृहस्पति को विशेष स्थान प्राप्त है.सभी ग्रहों में गुरु ग्रह सबसे ज्यादा शुभफल देने वाले ग्रह माने गए हैं.


पंडित सुरेश श्रीमाली के अनुसार ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति ग्रह को मान-सम्मान, विवाह, भाग्य, आध्यात्म, संतान का कारक माना गया है. इसके साथ ही से ग्रह पुत्र, जीवनसाथी, धन-संपत्ति, शिक्षा और वैभव का कारक ग्रह माना गया गया.


कुंडली के चौथे भाव का बृहस्पति कर देता है मालामाल
गुरु कालपुरुष कुंडली के चौथे भाव यानि कर्क राशि में उच्च का माना जाता है.अगर आपको कुंडली के चौथे भाव में गुरु लिखा है तो समझ जाइए आपके लिए गुरु बहुत अच्छा परिणाम देने वाले हैं.वहीं कुंडली में नवम और बारहवें भाव यानि धनु और मीन राशि में ये अपनी उच्च शिक्षा के लिए उत्तम माने जाते हैं. इस भाव में होने पर भी ये अच्छा फल देते हैं. तो वहीं आपकी कुंडली में ये दसवें भाव यादि मकर राशि में हैं तो आप सतर्क रहें. जिन लोगों की कुंडली में बृहस्पति बलवान होते हैं उन्हें कई तरह लाभ प्राप्त होते हैं.जीवन में धन, संपदा, मान-सम्मान, प्रतिष्ठा और उच्च पद की प्राप्ति होती है. बृहस्पति ग्रह किसी एक राशि में गोचर करने के लिए लगभग 1 वर्ष का समय लेते हैं.


धनु और मीन राशि के स्वामी हैं 'बृहस्पति'
गुरु ग्रह को दो राशियों का आधिपत्य प्राप्त है धनु और मीन.गुरु ग्रह जब कर्क राशि में आते तब वे उच्च के होते हैं यानि वे कर्क राशि में अच्छा फल प्रदान करते हैं. जबकि मकर में नीच के होते हैं.


नवंबर में गुरू मार्गी कब हो रहे हैं?
पंचांग के अनुसार देवगुरु बृहस्पति 29 जुलाई दिन शुक्रवार को मीन राशि में वक्री हुए. वे मीन राशि में 24 नवंबर, दिन गुरुवार को पुन: मार्गी होंगे.ज्योतिष के अनुसार कोई भी ग्रह जब उल्टी चाल से चलता है तो उसे वक्री कहते हैं और जब वह सीधी चाल से चलता है तो उसे मार्गी कहते हैं.29 जुलाई को देवगुरु जब मीन राशि में वक्री हुए हैं, तब से उनकी इस वक्र गति से अनेक राशि के जातकों के जीवन में बदलाव का समय चल रहा है.सीधी चाल में आने में इन्हें 119 दिन का वक्त लगा, यानी गुरु 24 नवंबर को शाम 4:29 बजे मार्गी होंगे.


गुरु मार्गी होकर क्या फल देंगे?
पंडित सुरेश श्रीमाली के अनुसार देवगुरु को नवग्रहों में विशेष स्थान प्राप्त है. उनके वक्री से मार्गी होने का ये असर होगा कि कृषि, व्यापार में लाभ होगा. जबकि राजनीतिए धर्म और शिक्षा के क्षेत्र में रुके हुए महत्वपूर्ण फैसले सामने आ सकते हैं. बृहस्पति ज्ञान, शिक्षा, जीवनसाथी, धन-संपत्ति और यश वैभव के कारक ग्रह माने गए हैं. इसलिए इन क्षेत्रों में उनके वक्री से मार्गी होने का सीधा असर पड़ेगा.इन क्षेत्रों में कार्यरत लोग भी प्रभावित होंगे. जिन लोगों की कुंडली में बृहस्पति बलवान होते हैं उनके लिए कई तरह लाभ प्राप्ति के योग इस अवधि में बन सकते हैं. बृहस्पति जैसे शुभ ग्रह का हर स्थान परिवर्तन फिर चाहे गोचर हो या उनका वक्री होना ज्योतिष शास्त्र में महत्वपूर्ण घटना के रूप में देखा जाता है.


राशियों पर गुरू मार्गी का प्रभाव
वक्री गुरु न केवल जातक के चेष्टा बल में वृद्धि करता है, जबकि मार्गी होने पर वही अपना अलग-अलग प्रभाव दिखाते हुए अपने कारक तत्व के अनुसार उन्हें फल भी देता है. जिस जातक की कुंडली में गुरु छठें, आठवें और बारहवें भाव में होता है. उन्हें गुरु ज्यादा अच्छा फल नहीं देते हैं. साथ ही जिन जातकों की कुंडली में गुरु नीच के यानि मकर राशि में होते हैं उन्हें इस दौरान विशेष सतर्क रहने की जरूरत है. मार्गी होने का प्रभाव करीब-करीब हर राशि पर पड़ेगा लेकिन चूंकि धनु और मीन इनकी स्वराशि हैं, इसलिए बृहस्पति अपनी मार्गी चाल से सबसे अधिक मीन और धनु जातकों के जीवन में बदलाव लाएंगे. 


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