व्यक्ति का प्रत्येक इंद्रियजन्य होता है. मात्र ज्ञानेंद्रियों पर ही उसका नियंत्रण होता है. ऐसे में क्या देखा जाए, सुना जाए, खाया जाए, घ्राण किया जाए और छुआ जाए इस पर स्वयं नियंत्रण रख सकता है. प्रत्येक क्षेत्र के सफल व्यक्ति पर ध्यान देंगे तो पाएंगे उन्होंने इन ज्ञानेंद्रियों में से सभी पर या कुछ पर नियंत्रण बनाया हुआ है. जैसे गायक कलाकार खानपान में विशेष सतर्क रहते हैं. कुछ भी खाना पीना उनके लिए श्रेयष्कर नहीं होता.


इसी प्रकार दृश्य ज्ञानेंद्रियों पर नियंत्रण हमें मन पर काबू करने की कला सिखाता है. कुछ भी देखने बचना विचारों को व्यर्थ के बाह्य प्रदूषण से बचाने का प्रयास है. अच्छे चिंतक विचारक ऐसे किसी तथ्य को स्वयं से दूर रखते हैं जो उनकी विचार शक्ति को प्रभावित करता हो. इसी कारण विभिन्न लोेगों को एकांगी रहते हुए पाते हैं.


स्पर्श ज्ञानेंद्रिय का जीवन में विशेष महत्व है. कामेंद्रियां भी इसके अंतर्गत आती हैं. स्पर्श से हम किसी भी व्यक्ति के भावों को सबसे बेहतर ढंग से समझ सकते हैं. हमें कुछ भी छूने से बचना चाहिए. कोरोना काल में तो स्पर्श ज्ञानेंद्रिय पर अधिकाधिक नियंत्रण आवश्यक हो गया है.


ज्ञान की पंचेंद्रियों में घ्राण शक्ति भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्नोफर डॉग अपनी घ्राण शक्ति से ही संबंधिक वस्तु व व्यक्ति को खोज निकालते हैं. आज के वायु प्रदूषण में हमारी घ्राण शक्ति तेजी से प्रभावित हो रही है. यह हमें वस्तुओं के स्वाद लेने में भी सहायक होती है. कहावत भी है कि ‘‘खाना नाक से खाया जाता है.‘‘