Padmini Ekadashi 2023: पद्मिनी एकादशी क्यों मनाई जाती है? जानें यह पौराणिक कथा
Padmini Ekadashi Katha: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सर्वप्रथम भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को पुरुषोत्तमी एकादशी के व्रत की कथा सुनाई थी और इसके महत्व से उन्हें अवगत करवाया था.
Padmini Ekadashi Date: अधिक मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि को पद्मिनी एकादशी कहा जाता है. इसे कमला या पुरुषोत्तमी एकादशी भी कहते हैं. हिन्दू पंचांग के अनुसार पद्मिनी एकादशी का व्रत जो महीना अधिक हो जाता है उस पर निर्भर करता है. इस एकादशी का व्रत करने के लिए कोई चन्द्र मास तय नहीं है.
पद्मिनी एकादशी का व्रत 29 जुलाई को शनिवार के दिन रखा जाएगा. इस दिन पूरे विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इस व्रत को करने से यश बढ़ता है और मृत्यु के बाद वैकुंठ की प्राप्ति होती है. जानते हैं इस एकादशी से जुड़ी पौराणिक कथा.
पद्मिनी एकादशी की पौराणक कथा
त्रेता युग में एक पराक्रमी राजा था जिसका नाम कीतृवीर्य था. इस राजा की कई रानियां थी परंतु किसी भी रानी से राजा को संतान नहीं हुई. संतानहीन होने के कारण राजा और उनकी रानियां तमाम सुख सुविधाओं के बावजूद दु:खी रहते थे. संतान प्राप्ति की कामना से राजा अपनी रानियों के साथ तपस्या करने के लिए निकल पड़े. वर्षों तक तपस्या करने के बाद भी राजा की तपस्या सफल नहीं हुई. रानी ने तब देवी अनुसूया से उपाय पूछा. देवी ने उन्हें मल मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करने के लिए कहा.
अनुसूया ने रानी को इस व्रत का विधान भी बताया. रानी ने अनुसूया के बताये विधान के अनुसार पद्मिनी एकादशी का व्रत रखा. व्रत की समाप्ति पर भगवान प्रकट हुए और वरदान मांगने के लिए कहा. रानी ने भगवान से कहा प्रभु आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो मुझे नहीं बल्कि मेरे पति को वरदान दीजिए. भगवान ने तब राजा से वरदान मांगने के लिए कहा.
राजा ने भगवान से प्रार्थना की कि आप मुझे ऐसा पुत्र प्रदान करें जो सर्वगुण सम्पन्न हो जो तीनों लोकों में आदरणीय हो. मेरा पुत्र आपके अतिरिक्त किसी से पराजित न हो. भगवान तथास्तु कह कर चले गये. कुछ दिनों के बाद रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया जो कार्तवीर्य अर्जुन के नाम से जाना गया. यह बालक आगे चलकर अत्यंत पराक्रमी राजा हुआ. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सर्वप्रथम भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को पुरुषोत्तमी एकादशी के व्रत की कथा सुनाई थी और इसके महत्व से उन्हें अवगत करवाया था.
ये भी पढ़ें
घर के मंदिर से जुड़ी ये गलतियां आपको बना सकती हैं कंगाल, नहीं मिलता पूजा का फल
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.