Padmini Ekadashi Date: अधिक मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि को पद्मिनी एकादशी कहा जाता है. इसे कमला या पुरुषोत्तमी एकादशी भी कहते हैं. हिन्दू पंचांग के अनुसार पद्मिनी एकादशी का व्रत जो महीना अधिक हो जाता है उस पर निर्भर करता है. इसलिए इस एकादशी का उपवास करने के लिए कोई चन्द्र मास तय नहीं है.
इस दिन व्रत रखकर विधिपूर्वक भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इस व्रत को करने से यश बढ़ता है और मृत्यु के बाद वैकुंठ की प्राप्ति होती है. पद्मिनी एकादशी का व्रत 29 जुलाई, शनिवार को रखा जाएगा.
पद्मिनी एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त
29 जुलाई को पद्मिनी एकादशी के दिन विष्णु पूजा का मुहूर्त सुबह 07 बजकर 22 मिनट से सुबह 09 बजकर 04 मिनट तक है. यह शुभ उत्तम मुहूर्त है. इसके अलावा दोपहर में भी एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त है. पद्मिनी एकादशी व्रत पूजा का शुभ समय दोपहर 12 बजकर 27 मिनट से शाम 05 बजकर 33 मिनट तक है.
पद्मिनी एकादशी पर बने दो शुभ योग
इस साल पद्मिनी एकादशी पर ब्रह्म और इंद्र योग जैसे दो शुभ योग बने हैं. ब्रह्म योग प्रात:काल से लेकर सुबह 09 बजकर 34 मिनट तक है. उसके बाद से इंद्र योग प्रारंभ हो जाएगा. वहीं इस दिन ज्येष्ठा नक्षत्र सुबह से लेकर रात 11 बजकर 35 मिनट तक है, उसके बाद से मूल नक्षत्र शुरू हो जाएगा.
पद्मिनी एकादशी की पूजा विधि
इस दिन प्रात स्नानादि से निवृत होकर भगवान विष्णु की विधि पूर्वक पूजा करें. निर्जल व्रत रखकर विष्णु पुराण सुनें या फिर इसका पाठ करें. इस दिन रात्रि में भजन- कीर्तन करते हुए जागरण करना शुभ होता है. रात में प्रति पहर विष्णु और शिवजी की पूजा करें. प्रत्येक प्रहर में भगवान को अलग-अलग भेंट प्रस्तुत करें जैसे- प्रथम प्रहर में नारियल, दूसरे प्रहर में बेल, तीसरे प्रहर में सीताफल और चौथे प्रहर में नारंगी और सुपारी चढ़ाएं.
द्वादशी के दिन भी सुबह भगवान की पूजा करें. ब्राह्मणों को भोजन कराकर दक्षिणा सहित विदा करें. इसके बाद व्रत का पारण करें. पद्मिनी एकादशी भगवान विष्णु जी को अति प्रिय है. माना जाता है कि इसलिए इस व्रत का विधि पूर्वक पालन करने वाला विष्णु लोक को जाता है.
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