हस्तरेखा सामुद्रिक शास्त्र के अंतर्गत आता है. सामुद्रिक शास्त्र में शारीरिक बनावट देखकर भविष्य और व्यक्तित्व का आंकलन किया जाता है. राहु रेखाएं अंगूठे के पास स्थित मंगल क्षेत्र से निकलती हैं. जीवन रेखा को काटते हुए आगे बढ़ती हैं. इनका महत्व जीवन रेखा को काटने पर ही होता है. जब तक ये जीवन रेखा को काटकर आगे नहीं बढ़तीं तब तक इनका प्रभाव नगण्य होता है.
राहु रेखाओं की जितनी अधिक संख्या होती है उतना अधिक व्यक्ति जीवन में कष्ट भोगता है. यह कष्ट दैहिक, आर्थिक अथवा सामाजिक हो सकता है. राहु रेखाएं आर्थिक नुकसान तभी अधिक करती हैं जब ये जीवन रेखा के साथ भाग्य रेखा को भी काटती हैं. राहु रेखा मंगल क्षेत्र से निकलकर सूर्य रेखा को काटे तो व्यक्ति को अपयश का सामना करना पड़ता है. सामाजिक भर्त्सना होती है.
राहु रेखा हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा को भी काटे तो दैहिक कष्ट गहरा माना जाता है. व्यक्ति को गहरा शारीरिक और मानसिक आघात लगता है. राहु रेखाएं पतली होने पर यह प्रभाव तात्कालिक होता है. लंबे समय तक ये रेखा असरकारी नहीं रह जाती है.
परेशानी जीवन के किस आयु काल में आएगी इसका निर्धारण जीवन रेखा पर राहु रेखा के काटने के स्थान से लगाया जाता है. जीवन रेखा की शुरुआत गुरु और मंगल पर्वत के मध्य से होती है. जीवन रेखा पर जितनी देरी से राहु रेखा काटती है उतनी अधिक आयु राहु रेखा कष्ट घटित होता है.