Panchak February 2023: फाल्गुन अमावस्या के साथ आज हुई पंचक की शुरुआत, अगले 5 दिनों तक भूलकर भी ना करें ये काम
Panchak February 2023: पंचक को महीने का सबसे अशुभ काल माना जाता है. पंचक पांच प्रकार के होते हैं लेकिन सारे पंचक अशुभ नहीं होते हैं. इन 5 दिनों में कुछ खास कार्य करने की मनाही होती है.
Panchak February 2023: आज फाल्गुन अमावस्या है. हिंदू धर्म में इस दिन का खास महत्व होता है. आज के दिन पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म किये जाते हैं. जीवन में सुख-समृद्धि और शांति की कामना के लिए लोग आज उपवास भी करते हैं. आज से ही पंचक की भी शुरुआत हो रही है. पंचक पांच दिनों की वह अवधि होती है जब चंद्रमा धनिष्ठा नक्षत्र के तीसरे चरण में प्रवेश करता है. इसके बाद वो कुंभ और मीन राशि में गोचर करता हैं. ज्योतिश शास्त्र में पंचक को अशुभ माना गया है और इस अवधि में कुछ कार्यों की मनाही की गई है.
अशुभ माना जाता है पंचक
पंचक को महीने का सबसे अशुभ काल माना जाता है. मान्यता है कि पंचक काल के दौरान जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उस घर-परिवार के सदस्यों या फिर उस क्षेत्र के लोगों पर भी मृत्यु का संकट मंडराने लगता है. पंचक पांच प्रकार के होते हैं लेकिन सारे पंचक अशुभ नहीं होते हैं. रविवार को शुरू होने वाले पंचक को रोग पंचक कहते हैं. इस पंचक को बहुत अशुभ माना जाता है. वहीं राज पंचक की शुरुआत सोमवार से होती है और इस पंचक को उन सभी कार्यों के लिए बेहद शुभ माना जाता है जो कि हमारे दैनिक जीवन में होते है.
अग्नि पंचक का आरंभ किसी भी महीने के मंगलवार से होता है. इस समय को कानून से जुड़े मामलों के लिए शुभ माना जाता है. जो पंचक शनिवार को शुरू होता है उसे मृत्यु पंचक के नाम से जाना जाता है और यह पंचक मृत्यु और दुर्घटना लेकर आता है. शुक्रवार को शुरू होने वाले पंचक को चोर पंचक कहते है. इस दौरान कुछ विशेष कार्यों को करने से धन-धान्य में कमी आती है.
पंचक में नहीं करने चाहिए ये काम
पंचक के दौरान विवाह, मुंडन और नामकरण संस्कार जैसे मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए. इस अवधि में व्यापार के लिए पैसे उधार लेने या देने से बचना चाहिए लेकिन अगर ऐसा करना जरूरी हो तो कार्य के आरंभ से पहले माता लक्ष्मी की पूजा करें. अगर पंचक के दौरान किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो परिवार के दूसरे सदस्यों की रक्षा के लिए दाह संस्कार के समय आटे, बेसन और कुश से 5 पुतले बनाकर मृतक के साथ उनका भी अंतिम संस्कार करना चाहिए. पंचक के दौरान अगर किसी व्यक्ति को दक्षिण दिशा में शनिवार के दिन यात्रा करनी हो, तो सर्वप्रथम हनुमान जी की पूजा करें. उन्हें फलों का भोग लगाएं और इसके बाद ही अपनी यात्रा की शुरुआत करें.
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