Papamochani Ekadashi 2023: पापों का नाश करती है पापमोचिनी एकादशी, जानें इससे जुड़ी पौराणिक मान्यता
Papamochani Ekadashi Date: पापमोचनी एकादशी व्रत को करने से तन और मन की शुद्धि होती है. इस व्रत के दौरान कोई भी गलत कार्य ना करने का संकल्प लेना चाहिए. इससे जीवन के सभी दुख दूर हो जाते हैं.
Papamochani Ekadashi: पापमोचनी एकादशी 18 मार्च को मनाई जाएगी. सभी एकादशियों में इसे सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. पापमोचनी एकादशी का अर्थ है पाप को नष्ट करने वाली एकादशी. इस दिन भगवान विष्णु की पूरी विधि-विधान से पूजा की जानी चाहिए. माना जाता है कि इस व्रत को करने से घोर पापों के दोष से मुक्ति मिलती है.
पापमोचनी एकादशी व्रत को करने से तन और मन की शुद्धि होती है. इस व्रत के दौरान कोई भी गलत कार्य ना करने का संकल्प लेना चाहिए. इससे जीवन के सभी दुख दूर हो जाते हैं. जो व्यक्ति भी इस व्रत को करता है उसे मानसिक शांति मिलती है. एकादशी तिथि को जागरण करने से कई गुना पुण्य भी मिलता है.
पापमोचनी एकादशी की पौराणिक मान्यता
पुराणों के अनुसार पुरातन काल में चैत्ररथ नामक एक बहुत सुंदर वन था जिसमें च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी ऋषि तपस्या करते थे. इसी वन में देवराज इंद्र गंधर्व कन्याओं, अप्सराओं और देवताओं के साथ विचरण करते थे. मेधावी ऋषि शिव भक्त और अप्सराएं शिवद्रोही कामदेव का अनुसरण करती थीं. एक बार कामदेव ने मेधावी ऋषि की तपस्या भंग करने की योजना बनाई. इसके लिए उन्होंने मंजूघोषा नामक अप्सरा को भेजा.
मंजू ने अपने नृत्य, गान और सौंदर्य से मेधावी मुनि का ध्यान भंग कर दिया. वहीं मुनि मेधावी भी मंजूघोषा पर मोहित हो गए. इसके बाद दोनों ने अनेक वर्ष साथ में व्यतीत किये. एक दिन जब मंजूघोषा ने वापस जाने के लिए अनुमति मांगी तो मेधावी ऋषि को अपनी भूल और तपस्या भंग होने का आत्मज्ञान हुआ. उन्होंने क्रोधित होकर मंजूघोषा को पिशाचनी होने का श्राप दिया. इसके बाद अप्सरा ने ऋषि से माफी मांगी और श्राप से मुक्ति का उपाय पूछा.
मंजूघोषा के बार- बार विनती करने पर मेधावी ऋषि ने उसे पापमोचनी एकादशी का व्रत करने का उपाय बताया और कहा इस व्रत को करने से तुम्हारे पापों का नाश हो जाएगा. ये व्रत ही तुम्हारे पूर्व रूप को प्राप्त कराएगा. अप्सरा को मुक्ति का मार्ग बताकर मेधावी ऋषि अपने पिता महर्षि च्यवन के पास पहुंचे.
श्राप की बात सुनकर च्यवन ऋषि ने कहा, पुत्र यह तुमने अच्छा नहीं किया, ऐसा कर तुमने भी पाप कमाया है, इसलिए तुम भी पापमोचनी एकादशी का व्रत करो. इस प्रकार पापमोचनी एकादशी का व्रत करके अप्सरा मंजूघोषा ने श्राप से और मेधावी ऋषि ने पाप से मुक्ति पाई.
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