Papmochani Ekadashi 2024: पापों से मुक्ति दिलाती है पापमोचिनी एकादशी, जानें क्यों किया जाता है ये व्रत
Papamochani Ekadashi Date 2024: पापमोचनी एकादशी व्रत करने से जीवन के सारे कष्ट दूर होते हैं. इसके प्रभाव से पापों से मुक्ति मिलती है. जानते हैं इससे जुड़ी पौराणिक कथा.
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Papamochani Ekadashi: सभी एकादशी में पापमोचनी एकादशी बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. पापमोचनी एकादशी का अर्थ है पापों को नष्ट करने वाली एकादशी. इस दिन पूरे विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. माना जाता है कि इस व्रत को करने से घोर पापों के दोष से मुक्ति मिलती है.
पापमोचनी एकादशी व्रत को करने से तन और मन की शुद्धि होती है. इस व्रत को करने से जीवन के सभी दुख दूर हो जाते हैं. जो व्यक्ति भी इस व्रत को करता है उसे मानसिक शांति मिलती है. इस दिन जागरण करने से कई गुना पुण्य भी मिलता है. जानते हैं कि पापमोचनी एकादशी क्यों मनाई जाती है.
पापमोचनी एकादशी की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में चैत्ररथ नामक एक बहुत सुंदर वन था जिसमें च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी ऋषि तपस्या करते थे. इसी वन में देवराज इंद्र गंधर्व कन्याओं, अप्सराओं और देवताओं के साथ विचरण करने आते थे. मेधावी ऋषि शिव भक्त थे जबकि अप्सराएं शिवद्रोही कामदेव का अनुसरण करती थीं.
एक बार कामदेव ने मेधावी ऋषि की तपस्या भंग करने की योजना बनाई. इसके लिए उन्होंने मंजूघोषा नामक अप्सरा को भेजा. मंजू ने अपने नृत्य, गान और सौंदर्य से मेधावी मुनि का ध्यान भंग कर दिया जिसके बाद मेधावी मंजूघोषा पर मोहित हो गए. इसके बाद कई वर्षों तक दोनों साथ में रहे.
एक दिन जब मंजूघोषा ने वापस जाने के लिए अनुमति मांगी तो मेधावी ऋषि को अपनी भूल और तपस्या भंग होने का आत्मज्ञान हुआ. उन्होंने क्रोधित होकर मंजूघोषा को पिशाचनी होने का श्राप दिया. इसके बाद अप्सरा ने ऋषि से माफी मांगी और श्राप से मुक्ति का उपाय पूछा.
मंजूघोषा के बार-बार विनती करने पर मेधावी ऋषि ने उसे पापमोचनी एकादशी का व्रत करने का उपाय बताया. उन्होंने बताया कि किस तरह इस व्रत को करने से पापों से मुक्ति पाई जा सकती है. मेधावी ऋषि ने कहा कि ये व्रत ही तुम्हारे पूर्व रूप को प्राप्त कराएगा. अप्सरा को मुक्ति का मार्ग बताकर मेधावी ऋषि अपने पिता महर्षि च्यवन के पास पहुंचे.
श्राप की बात सुनकर च्यवन ऋषि ने कहा, पुत्र यह तुमने अच्छा नहीं किया, ऐसा कर तुमने भी पाप कमाया है, इसलिए तुम भी पापमोचनी एकादशी का व्रत करो. इस प्रकार पापमोचनी एकादशी का व्रत करके अप्सरा मंजूघोषा ने श्राप से और मेधावी ऋषि ने पाप से मुक्ति पाई.
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