Parshuram Jayanti: हर साल अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जयंती मनाई जाती है. इस बार परशुराम जयंती कल यानी 22 अप्रैल को मनाई जाएगी. अक्षय तृतीया के दिन मां रेणुका के गर्भ से श्री परशुराम अवतरित हुए थे. भगवान परशुराम चिरंजीवी हैं इसलिए इस दिन को चिरंजीवी तिथि के नाम से भी जाना जाता है. परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं. 


उनके पिता का नाम जमदग्नि और माता का नाम रेणुका था. कई ऐसी पौराणिक कथाएं हैं जिनसे भगवान परशुराम के अत्यंत क्रोध्रित स्वभाव का पता चलता है. भगवान परशुराम के क्रोध से देवी-देवता थर-थर कांपते थे. पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार परशुराम ने क्रोध में आकर भगवान गणेश का दांत तोड़ दिया था. वहीं पिता के कहने पर उन्होंने अपनी मां का वध भी कर दिया था. आइए जानते हैं कि आखिर भगवान परशुराम ने अपनी ही मां को क्यों मारा.



भगवान परशुराम ने क्यों किया अपनी मां का वध?


भगवान परशुराम पराक्रम के प्रतीक माने जाते हैं. वह अपने माता-पिता के परम भक्त थे. पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार परशुराम की माता रेणुका जल लेने नदी पर गईं. वहां उन्होंने गंधर्वराज चित्ररथ को जल में अप्सराओं के साथ देखा और कुछ देर वहीं ठहर गईं. उस समय माता रेणुका के मन में विकार उत्पन्न हो गया था. अचानक उन्हें याद आया की उनके पति के हवन का समय हो रहा है और वो तुरंत जल लेकर घर पहुंचीं.


जमदग्नि ऋषि ने अपने तपोबल से अपनी पत्नी का मानसिक व्यभिचार जान लिया. उन्होंने परशुराम से बड़े अपने तीन पुत्रों को आज्ञा दी कि वो अपनी माता का वध कर दें लेकिन किसी ने भी इसे पाप समझ कर नहीं किया. अंत में ऋषि ने परशुराम को अपनी माता का वध करने की आज्ञा दी. साथ ही उन्होंने कहा कि अपने भाइयों का भी वध कर दो क्योंकि इन्होंने मेरी आज्ञा का पालन नहीं किया. परशुराम ने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए अपनी माता और भाईयों का वध कर दिया.


पुत्र की पितृभक्ति देख जमदग्नि ऋषि प्रसन्न हुए और उन्होंने परशुराम से वर मांगने को कहा. परशुराम अपने पिता का तपोबल जानते थे. उन्होंने अपने पिता से अपनी मां और भाईयों को पुनर्जीवित करने का वरदान मांगा. उन्होंने पिता से मांगा की उनकी मां और भाई ऐसे जीवित हों जैसे की निद्रा से जागे हों और उन्हें इस बात का स्मरण न रहे कि मैंने उन्हें मारा था. जमदग्नि ऋषि के तपोबल से ऐसा ही हुआ. पुत्र की तीव्र बुद्धि को देख ऋषि ने उन्हें ख्याति और अस्त्र-शस्त्र में निपुणता का भी वरदान दिया.


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