Pipal Puja Niyam: सनातन धर्म में देवी-देवताओं के साथ-साथ कई पेड़-पौधों को भी देवतुल्य माना गया है. कई ऐसे कई पेड़-पौधे, नदियां और पर्वत हैं जिनसे कई धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं. इन्हीं में से एक है पीपल का वृक्ष. शास्त्रों में पीपल की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पीपल के पेड़ पर देवी-देवताओं के साथ-साथ प्रेत-आत्माओं और पितरों का भी वास होता है. माना जाता है शनिवार के दिन पीपल के सामने दीया जलाकर शनि दोष से मुक्ति पाई जा सकती है. पीपल की पूजा के लिए शनिवार का दिन उत्तम होता है, वहीं रविवार के दिन इसकी पूजा करना अशुभ माना जाता है. जानते हैं इससे जुड़ी पौराणिक मान्यता.


रविवार के दिन नहीं करनी चाहिए पीपल की पूजा


पीपल की पूजा से जुड़े कुछ खास नियम हैं. रविवार के दिन पीपल की पूजा करना अशुभ माना जाता है. रविवार के दिन इसकी पूजा करने से आर्थिक स्थिति खराब होने के साथ-साथ शारीरिक कष्टों का भी सामना करना पड़ता है. रविवार को पीपल की पूजा न करने के पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है. इसके अनुसार समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी और उनकी बहन अलक्ष्मी दोनों ही बाहर निकलीं थीं. दोनों बहनों ने विष्णु जी से प्रार्थना कर अपने लिए रहने का स्थान मांगा.


पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी और उनकी बहन दरिद्रा दोनों को ही पीपल के वृक्ष में वास करने का स्थान दिया. इस तरह से दोनों बहनें पीपल के वृक्ष में निवास करने लगीं. एक बार जब भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी से विवाह का प्रस्ताव रखा तो उन्होंने पहले अपनी बहन दरिद्रा के विवाह का आग्रह किया. अलक्ष्मी की इच्छा थी कि उनका विवाह किसी ऐसे व्यक्ति से हो जो पूजा पाठ न करता हो. 


दरिद्रा की इच्छा के अनुसार भगवान विष्णु ने उनका विवाह एक ऐसे ही ऋषि से करा दिया. विवाह के बाद भगवान विष्णु ने दरिद्रा और उसके पति ऋषि को अपने निवास स्थान पीपल में रविवार के दिन निवास करने का स्थान दे दिया. तभी से ऐसा माना जाने लगा कि रविवार के दिन पीपल के पेड़ पर दरिद्रा यानी अलक्ष्मी का वास होता है. रविवार को पीपल की पूजा करने से अलक्ष्मी प्रसन्न हो जाती हैं और घर में दरिद्रता आती है. इसलिए रविवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा नहीं करनी चाहिए.


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