Pitra Dosh Upay: कुंडली में पितृ दोष के कारण आ रही समस्याएं? जानें ज्योतिषीय उपाय
Pitra Dosh Upay:पितृ दोष पूर्व जन्म या इस जन्म के कर्मों का परिणाम है. पूर्वजों का अपमान, अनुचित व्यवहार व अशुभ ग्रह स्थिति इसके कारण हैं. तर्पण, श्राद्ध, पीपल पूजन और सेवा से इसे दूर किया जा सकता है.

Pitra Dosh Upay: कुंडली में पितृ दोष क्यों बनता है? वैदिक ज्योतिष के अनुसार, जन्म कुंडली में पितृ दोष बनने के कई कारण हो सकते हैं. यह दोष मुख्य रूप से हमारे पूर्व जन्मों में किए गए कर्मों का परिणाम होता है. हमारे जीवन में आने वाले सुख-दुख, संघर्ष, सफलता और असफलता सभी पिछले जन्मों के कर्मों से प्रभावित होते हैं.
पितृ दोष के प्रमुख कारण:
- पूर्वजों का अपमान – अगर किसी व्यक्ति ने अपने पूर्व जन्म में अपने माता-पिता, दादा-दादी या अन्य बुजुर्गों का अनादर किया हो, तो इसका असर इस जन्म में पितृ दोष के रूप में दिखाई देता है.
- बड़ों के प्रति अनुचित व्यवहार– यदि किसी व्यक्ति ने अपने इस जीवन में भी माता-पिता या बुजुर्गों का सम्मान नहीं किया, उन्हें कष्ट पहुंचाया या उनकी सेवा नहीं की, तो पितृ दोष का प्रभाव और भी अधिक बढ़ सकता है.
- पूर्व जन्मों के कर्म – हमारे कर्म ही हमारे भाग्य को निर्धारित करते हैं. यदि पिछले जन्मों में गलत कार्य किए गए हों, तो उनका परिणाम इस जन्म में पितृ दोष के रूप में सामने आ सकता है.
कुंडली में पितृ दोष का ज्योतिषीय कारण:
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य ग्रह पितरों (पूर्वजों) का प्रतिनिधित्व करता है. यदि कुंडली में सूर्य किसी पाप ग्रह से पीड़ित हो या अशुभ स्थिति में हो, तो यह पितृ दोष का संकेत देता है. इसके अलावा, राहु, केतु और शनि ग्रह भी इस दोष को बढ़ा सकते हैं.
पितृ दोष के प्रभाव:
- जीवन में बार-बार आर्थिक तंगी और धन की हानि
- पारिवारिक कलह और मानसिक अशांति
- संतान प्राप्ति में बाधा
- लगातार मेहनत के बाद भी सफलता न मिलना
- स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं
पितृ दोष से बचाव कैसे करें?
अगर कुंडली में पितृ दोष हो, तो पूर्वजों को प्रसन्न करने और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान और अन्य धार्मिक उपाय किए जा सकते हैं. इसके अलावा, माता-पिता और बुजुर्गों का सम्मान करना और उनकी सेवा करना सबसे महत्वपूर्ण उपाय है.
पितृ दोष के ज्योतिषीय उपाय:
- श्राद्ध और तर्पण कर्म: पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध, तर्पण और हवन-पूजन करना चाहिए, जिससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है और पितृ दोष कम होता है.
- पीपल वृक्ष की पूजा: पितृ पक्ष में पीपल के पेड़ में काला तिल मिला हुआ दूध, अक्षत और फूल अर्पित करें, जिससे पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है.
- अमावस्या पर तर्पण: पितृ पक्ष के अलावा प्रत्येक अमावस्या पर पितरों का तर्पण करें, उनके नाम पर दान-पुण्य करें और जीव-जंतुओं को भोजन कराएं.
- विशेष अनुष्ठान: पितृ दोष निवारण के लिए विशेष अनुष्ठान, जैसे कि पिंडदान, ब्राह्मण भोजन और दान-पुण्य करना लाभकारी होता है.
- पितृ दोष का समाधान: यदि कुंडली में पितृ दोष हो, तो इसे दूर करने के लिए पूर्वजों का तर्पण, श्राद्ध कर्म, पिंडदान और धार्मिक अनुष्ठान करने चाहिए. इसके अलावा, माता-पिता और बुजुर्गों का सम्मान करना, उनकी सेवा करना और गरीबों को भोजन कराना भी इस दोष को कम करने में सहायक होता है.
पितृ दोष हमारे पूर्व जन्मों या इस जन्म के गलत कर्मों का परिणाम होता है. यदि हम अपने पूर्वजों का सम्मान करें और सही कर्म करें, तो इस दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है.
ये भी पढ़ें: वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में बालकनी किस दिशा में बनवाना शुभ होता है?
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस

