Pitra Dosh Nivaran: पंचांग के अनुसार आश्विन मास में पितृ पक्ष आते हैं. पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध किया जाता है. पितृ पक्ष में पिंडदान और तर्पण करने का विधान है. पितृ 1 सितंबर से आरंभ हो चुके हैं. अंतिम श्राद्ध 17 सितंबर को किया जाएगा. इस दिन अमावस्या की तिथि है जिस आश्विन अमावस्या भी कहा जाता है.


पितृ दोष क्या होता है
ज्योतिष शास्त्र में पितृ दोष को बेहद अशुभ योग माना गया है. पितृ दोष का पता जन्म कुंडली को देखकर लगाया जा सकता है. जन्म कुंडली का नवां घर धर्म का घर माना गया है. जब कुंडली का नवां ग्रह अशुभ ग्रहोें से दृष्ट हो तो पितृ दोष बनता है. कुंडली के इस भाव में यदि राहु या फिर केतु बैठ जाए तो पितृ दोष लगता है.


पितृ दोष के लक्षण
पितृ दोष जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में होता है उसे जीवन भर संघर्ष करना पड़ता है. ऐसे लोगों को सफलता बहुत मुश्किल से मिलती है. जॉब और व्यापार में दिक्कत परेशानी बनी ही रहती है. ऐसे लोगों की टेंशन कभी खत्म नहीं होती है. शिक्षा अधूरी रहती है. धन के लिए परेशान रहता है. रिश्ते खराब हो जाते हैं. शरीर में कोई गंंभीर रोग लग जाता है. वाणी खराब हो जाती है. बुरी संगत के कारण ऐसे लोगों को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं. व्यक्ति के मन में नकारात्मक विचार आते हैं. व्यक्ति की ऊर्जा गलत कार्यों में व्यर्थ होती है.


पितृ दोष का उपाय
पितृ पक्ष में पितृ दोष का उपाय करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं. पितृ दोष को दूर करने के लिए अमावस्या को पीपल के वृक्ष को जनेऊ चढ़ाएं. भगवान विष्णु की पूजा करें. पीपल के वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करें. परिक्रमा पूर्ण होने के बाद मिष्ठान आदि चढ़ाएं और जल अर्पित करें और पितरों से क्षमा याचना करते हुए आर्शीवाद प्रदान करने की प्रार्थना करें. पितरों का सम्मान करें. वहीं पितृ पक्ष में पड़ने वाले शनिवार को चावल और घी को मिलाकर लड्डू बनाएं और कौआ और मछलियों को खिलाएं.


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