Gem Astrology: पूर्वकाल से ही रत्नों ने अपने प्रभाव और चमत्कारों से मनुष्य के भाग्य और जीवन पर प्रभाव डाला है. विज्ञान को मानने वाले लोग भी रत्नों के दैवीय चमत्कार पर विश्वास करते हैं. रत्नों को धारण करने से दोष, विपत्ति, बाधा से मुक्ति पाई जा सकती है. रत्न और ग्रह का आपस में रश्मिय संबंध होता है. रत्न संबंधित रश्मियों को लेकर शरीर के अंदर प्रकाशित करता है. जिससे संबंधित ग्रह की क्षमता बढ़ जाती है. प्राचीन काल में रत्नों के विषय में यह मान्यता थी कि ओस की बूंद पर सूर्य के प्रकाश पड़ने से अति कठोर होकर अमूल्य और बहुमूल्य रत्न के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं. रत्नों का मनुष्यों के जीवन पर प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से अवश्य प्रभाव पड़ता है. दैवीय शक्तियां जीवन में अपना अद्भुत प्रभाव डालकर भाग्य को परिवर्तित करने में पूर्ण रूप से सक्षम होती है. रत्नों के बारे में संक्षिप्त परिचय निम्न है-
माणिक्य- इसे अंग्रेजी में रूबी कहते हैं. ये हल्का लाल या गुलाबी रंग का होता है. माणिक्य ग्रहों के राजा सूर्य का रत्न होने के कारण नवरत्नों का राजा है. माणिक्य सिंह राशि में जन्मे लोगों का राशि रत्न है. बृहत्संहिता के अनुसार माणिक्य को धारण करने वालों को विष भय और रोग नहीं सताता है. माणिक्य के प्रभाव से धारक के शत्रुओं का नाश करता है. यह रत्न प्लेग की बीमारी से भी रक्षा करता है. जब कोई संकट आने वाला होता है तो यह अपना वास्तविक रंग छोड़ कर धारण करने वाले को संकट से पहले ही आगाह करा देता है. यह मान्यता प्रचलित है कि बच्चों के गले में माणिक्य पहनाने से उनका दांत बिना तकलीफ के आसानी से निकल आता है. माणिक्य धारण करने से व्यक्ति धार्मिक विचारों वाला बन जाता है. व्यक्ति में राजसी प्रवृत्ति का भी निर्माण होने लगता है. उसमें बोलने की अद्भुत क्षमता आ जाती है जिससे यह वाद- विवाद में हमेशा विजयी होता है. इसी प्रकार प्राचीन काल से यह मान्यता चली आ रही है कि युद्ध में माणिक्य की माला पहन कर जाने से शत्रु बलहीन हो जाता है.
किसके लिए शुभ
माणिक्य रत्न सिंह लग्न या सिंह राशि, धनु लग्न या धनु राशि, वृश्चिक लग्न या वृश्चिक राशि एवं मेष लग्न या मेष राशि वालों के लिए शुभ होता है. इस रत्न को रविवार के दिन अनामिका उंगली में सोना या तांबा में बनवाकर पहनना चाहिए. किसी विद्वान की सलाह से ही रत्न धारण करना चाहिए.
पुखराज- इसे अंग्रेजी में टोपाज कहते हैं. यह गुरु का रत्न हैं. पुखराज को धारण करने से पेट की बीमारियां और आंखों की बीमारियां नहीं होती है. गुरु का रत्न होने के कारण इसको धारण करने से व्यक्ति सात्विक गुणों और सदाचार की भावना से युक्त होने लगता है. यह रत्न धारणकर्ता को यश और समृद्धि प्रदान करता है. पुखराज संतान दाता भी है. इसको धारण करने से शरीर में वात की मात्रा अधिक होने लगती है. अतः जिनके शरीर में वात अधिक हो उन्हें पुखराज नहीं धारण करना चाहिए.
किसके लिए शुभ
पुखराज रत्न वृश्चिक लग्न या वृश्चिक राशि, धनु लग्न या धनु राशि, कुंभ लग्न या कुंभ राशि एवं मीन लग्न या मीन राशि वालों के लिए शुभ होता है. इस रत्न को बृहस्पतिवार के दिन तर्जनी उंगली में सोना में बनवाकर पहनना चाहिए. किसी विद्वान की सलाह से ही रत्न धारण करना चाहिए.
मूंगा- इसे अंग्रेजी में कोरल कहते हैं. देसी मूंगा सिंदूरी रंग का होता है. यह मंगल का रत्न है और मंगल ग्रह में सेनापति होता है. मूंगा धारण करने से उत्साह में वृद्धि हो जाती है. मूंगा की माला दुर्भाग्य और नजर से बचाने और हमेशा स्वस्थ रहने के लिए धारण की जाती है और हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए भी इसे धारण करना चाहिए.
किसके लिए शुभ
मूंगा रत्न मेष लग्न या मेष राशि, कर्क लग्न या कर्क राशि एवं वृश्चिक लग्न या वृश्चिक राशि वालों के लिए शुभ होता है. इस रत्न को मंगलवार के दिन अनामिका उंगली में सोना या तांबा में बनवाकर पहनना चाहिए. किसी विद्वान की सलाह से ही रत्न धारण करना चाहिए.
नीलम- इसको अंग्रेजी में सैफायर कहते हैं. शुद्ध और पारदर्शी नीलम को धारण करने से युद्ध में सैनिक कैदी नहीं हो सकता है और युद्ध में सुलह हो जाने की पूर्ण संभावना बन जाती है. नीलम के बारे में प्रचलित है कि इसके धारणकर्ता की संपत्ति अगर खो जाए तो पुनः वापस अवश्य मिल जाती है. ताबीज के रूप में इसे गले में धारण करने से जादू टोने का कोई प्रभाव नहीं होता है.
किसके लिए शुभ
नीलम रत्न वृष लग्न या वृष राशि, तुला लग्न या तुला राशि, मकर लग्न या मकर राशि एवं कुंभ लग्न या कुंभ राशि वालों के लिए शुभ होता है. इस रत्न को शनिवार के दिन मध्यमा उंगली में चांदी या लोहा में बनवाकर पहनना चाहिए. किसी विद्वान की सलाह से ही रत्न धारण करना चाहिए.
पन्ना- इसे अंग्रेजी में इमराल्ड कहते हैं. यह बुद्ध का रत्न है. इसको धारण करने से बुद्धि प्रखर होती है. मिर्गी एवं पागलपन से बचाव करने के एवं नेत्रों में शीतलता प्राप्ति हेतु शुद्ध पन्ना धारण करना लाभप्रद रहता है. प्रसूता स्त्री को प्रसव के समय पन्ना धारण करने से लाभ होता है. पन्ना धारण करने से चर्म रोग दूर हो जाता है.
किसके लिए शुभ
पन्ना रत्न सिंह लग्न या सिंह राशि एवं कन्या लग्न या कन्या राशि वालों के लिए शुभ होता है. इस रत्न को बुधवार के दिन कनिष्ठिका उंगली में सोना में बनवाकर पहनना चाहिए. किसी विद्वान की सलाह से ही रत्न धारण करना चाहिए.
हीरा- इसको अंग्रेजी में डायमंड कहते हैं. हीरा धारण करने से धन-धान्य, यश-कीर्ति एवं सुखों में वृद्धि होती है. हीरा के बारे में धारणा है कि कठोर होने के कारण प्रायः इसे तोड़ना दुष्कर होता है. हीरा धारण करने से युद्ध में रक्षा होती है. वहीं दूसरी ओर यह ज्वर के ताप को भी दूर कर देता है. शुक्र जनित रोगों अथवा नपुंसकता होने पर हीरा धारण करना अत्यंत लाभदायक होता है.
किसके लिए शुभ
हीरा रत्न वृष लग्न या वृष राशि, तुला लग्न या तुला राशि, मकर लग्न या मकर राशि एवं कुंभ लग्न या कुंभ राशि वालों के लिए शुभ होता है. इस रत्न को शुक्रवार के दिन मध्यमा उंगली में प्लेटिनम सोना या चांदी में बनवाकर पहनना चाहिए. किसी विद्वान की सलाह से ही रत्न धारण करना चाहिए.
मोती- इसे अंग्रेजी में पर्ल कहते हैं. यह श्वेत, चमकीले रंग का होता है. इसमें इंद्रधनुष के सात रंगों की झलक दिखती है. यह नक्षत्र राजा चंद्रमा का रत्न है. चंद्रमा के स्त्री ग्रह होने की वजह से इसे रानी कहा जाता है. इसे चांदी में धारण करने से मानसिक शांति और शीतलता प्राप्त होती है. इसको धारण करने से पदोन्नति जल्दी होती है. अनेक औषधियों में भी मोती का प्रयोग किया जाता है. पीले रंग का मोती लक्ष्मीवान, सफेद निर्मल मोती यशवान, नीले रंग का मोती भाग्यवान बनाता है.
किसके लिए शुभ
मोती रत्न कर्क लग्न या कर्क राशि एवं वृश्चिक लग्न या वृश्चिक राशि वालों के लिए शुभ होता है. इस रत्न को सोमवार के दिन कनिष्ठिका उंगली में चांदी में बनवाकर पहनना चाहिए. किसी विद्वान की सलाह से ही रत्न धारण करना चाहिए.
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