Pradosh Vrat April 2021: 24 अप्रैल शनिवार को पंचांग के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी की तिथि है. प्रदोष व्रत त्रयोदशी की तिथि में ही किया जाता है. एक मास में दो त्रयोदशी की तिथि आती हैं, इस कारण एक माह में दो प्रदोष व्रत आते हैं. चैत्र मास के प्रदोष व्रत का विशेष महत्व बताया गया है. प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है. इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है.
भौम प्रदोष और शनि प्रदोष व्रत
प्रदोष व्रत को अलग अलग नामों से भी जाना जाता है. सोमवार को जब त्रयोदशी की तिथि पड़ती है तो इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है. इसी प्रकार जब मंगलवार के दिन त्रयोदशी की तिथि आती है तो इसे भौम प्रदोष व्रत और शनिवार के दिन पड़ने वाली त्रयोदशी की तिथि को शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है.
प्रदोष व्रत से प्रसन्न होते हैं भगवान शिव
प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है. इस दिन माता पार्वती सहित संपूर्ण शिव परिवार की पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा करने से कार्यो में आने वाली बाधा दूर होती है. इसके साथ ही दांपत्य जीवन में सुख शांति और समृद्धि बनी रहती है.
इन ग्रहों की अशुभता दूर होती है
प्रदोष व्रत में भगवान शिव की विधि पूर्वक पूजा करने से राहु, केतु, चंद्रमा, मंगल और शनि ग्रह की अशुभता कम होती है.
शनि का करें उपाय
शनि प्रदोष में पूजा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं. मिथुन, तुला पर शनि की ढैय्या और धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढे़साती चल रही है. इसके साथ ही जिन लोगों की जन्म कुंडली में शनि देव अशुभ हैं, वे लोग इस दिन पूजा कर शनिदेव को आसानी से प्रसन्न कर सकते हैं.
भगवान शिव के भक्त हैं शनिदेव
शनि देव भगवान शिव के भक्त हैं. शनि देव ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी. तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने शनिदेव को सभी ग्रहों में न्यायाधीश बनाया था. इस बार त्रयोदशी की तिथि में ध्रुव योग प्रात:11 बजकर 43 मिनट तक रहेगा. इस योग में पूजा का विशेष लाभ प्राप्त होगा.
प्रदोष व्रत मुहूर्त
चैत्र, शुक्ल त्रयोदशी प्रारम्भ: 24 अप्रैल शाम 07 बजकर 17 मिनट से. त्रयोदशी का समापन: 25 अप्रैल दोपहर 04 बजकर 12 मिनट पर. प्रदोष काल 24 अप्रैल शाम 07 बजकर 17 मिनट से रात्रि 09 बजकर 03 मिनट तक.