Pradosh Vrat: 1 जून, गुरुवार के दिन शु्क्ल पक्ष का प्रदोष व्रत है. भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करने के लिए यह व्रत बहुत फलदायी माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने से सारे दोष और कष्ट मिट जाते हैं. प्रदोष व्रत का अलग-अलग दिन के अनुसार अलग-अलग महत्व होता है. माना जाता है कि गुरु प्रदोष व्रत करने से शत्रुओं का नाश होता है. गुरु प्रदोष व्रत करने वाले को 100 गायें दान करने का फल प्राप्त होता है. यह व्रत सभी प्रकार के कष्ट और पापों को नष्ट करता है.
प्रदोष व्रत करने से मिलते हैं ये लाभ
- प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है. सूर्यास्त के 45 मिनट पहले का समय प्रदोष काल कहलाता है. इस समय में भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा- अर्चना करने से विशेष आशीर्वाद की प्राप्ति होती है और कई गुना लाभ प्राप्त होता है.
- प्रदोष व्रत को अन्य सभी दूसरे व्रतों से अधिक शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है. माना जाता है कि एक वर्ष तक लगातार यह व्रत करने से महादेव हर मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं. वह व्रती के सभी पाप, कष्टों, दोषों और संकटों को हर लेते हैं.
- देवी भागवत में प्रदोष को देवी व्रत माना गया है. माना जाता है कि इस दिन देवाधिदेव महादेव सायं काल के समय देवी पार्वती को कुशासन पर विराजमान कर उनके सामने देवताओं के साथ नृत्य करते हैं. इसलिए इस दिन उपवास करके सायं काल में देवी पार्वती की भी पूजा करनी चाहिए.
- प्रदोष का व्रत करने से दरिद्रता और कर्ज के भार से छुटकारा मिलता है. संसार की पीड़ा से व्यथित मनुष्यों के लिए प्रदोष पूजा और व्रत पार लगाने वाली नौका के समान है. प्रदोष काल में भगवान शंकर की प्रार्थना करने से दीर्घायु की प्राप्ति होती है और व्यक्ति सदा नीरोग रहता है.
- पुराणों के अनुसार जो लोग प्रदोष काल में भक्तिपूर्वक भगवान शिव की पूजा करते हैं, उन्हें धन-धान्य, स्त्री-पुत्र और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है. साथ उन्हें हर क्षेत्र में उन्नति मिलती है.
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