Pradosh Vrat: 17 मई यानी आज ज्येष्ठ माह का बुध प्रदोष व्रत है. आज का ये प्रदोष व्रत बेहद शुभ योग में पड़ा है. आज आयुष्मान और सौभाग्य योग भी है. ये दोनों ही योग पूजा पाठ और किसी भी नए काम की शुरुआत के लिए बहुत अच्छे माने जाते हैं. भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रदोष व्रत बहुत उत्तम माना जाता है. माना जाता है कि प्रदोष व्रत करने से सारे दोष और कष्ट मिट जाते हैं. जानते हैं इस व्रत के लाभ और महत्व के बारे में.


प्रदोष व्रत करने से मिलते हैं ये लाभ


प्रदोष व्रत का अलग-अलग दिन के अनुसार अलग-अलग महत्व है. दिन के अनुसार इस व्रत के नाम और महत्व भी बदल जाते हैं. रविवार का प्रदोष व्रत रखने से आयु में वृद्धि होती है अच्छा स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है. वहीं सोमवार का प्रदोष व्रत सोम प्रदोषम या चन्द्र प्रदोषम कहालाता है. यह मनोकामनायों की पूर्ती करता है. मंगलवार के दिन पड़ने वाला प्रदोष भौम प्रदोषम कहला है. इस दिन व्रत रखने से हर तरह के रोगों से छुटकारा मिलता है. 



बुधवार का दिन बुध प्रदोष कहलाता है. इसे करने से हर तरह की कामना सिद्ध होती है. बृहस्पतिवार के दिन प्रदोष व्रत करने से शत्रुओं का नाश होता है. शुक्र प्रदोष व्रत से सौभाग्य की वृद्धि होती है और दांपत्य जीवन में सुख-शांति आती है. शनिवार के प्रदोष व्रत को शनि प्रदोषम कहा जाता है. संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत को करना उत्तम माना जाता है.


प्रदोष व्रत का महत्व


हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को बहुत शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है. इस व्रत को पूरी निष्ठा से करने से भोलेनाथ सारे कष्ट दूर करते हैं. यह व्रत मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति कराता है. पुराणों के अनुसार एक प्रदोष व्रत करने का फल दो गायों के दान के बराबर होता है. इस दिन शिव की अराधना कर पापों का प्रायश्चित किया जाता है. इस व्रत से प्रसन्न होकर शंकर भगवान भक्तों के सारे कष्टों को दूर करते हैं. 


प्रदोष व्रत को अन्य सभी दूसरे व्रतों से अधिक शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है. इस व्रत में व्रती को निर्जल रहकर व्रत रखना होता है. इस दिन प्रातः काल स्नान करके भगवान शिव की बेल पत्र, गंगाजल अक्षत धूप दीप सहित पूजा करनी चाहिए. संध्या काल में फिर से स्नान करके इसी प्रकार से शिव जी की पूजा करना चाहिए. इस प्रकार प्रदोष व्रत करने से भक्तों को बहुत पुण्य मिलता है.


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