Puja Path Niyam: हर हिंदू घर में पूजा-पाठ (Puja Path) जरूर होती है. पूजा-पाठ हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है. यह ईश्वर के प्रति आभार, भक्ति और समर्पण व्यक्त करने का एक तरीका है. पूजा करने से न सिर्फ भगवान प्रसन्न होते हैं बल्कि मन को भी शांति मिलती है. 


माना जाता है जिस घर में नियमित रूप से पूजा-पाठ होती है वहां देवी-देवताओं की कृपा बरसती है. उस घर के सदस्यों के काम में किसी भी तरह की कोई बाधा नहीं आती है. हालांकि पूजा-पाठ के भी कुछ विशेष नियम (Puja Path Niyam) होते हैं और इनका पालन ना करने से पूजा का फल नहीं प्राप्त होता है. जानते हैं इन नियमों के बारे में.


पूजा-पाठ में न करें ये गलतियां (Puja Path Niyam)



  • पूजा-पाठ पवित्रता का काम है. अगर आप अपवित्र अवस्था में पूजा-पाठ करते हैं, तो आपको पूजा का कोई फल प्राप्त नहीं होगा. इसलिए, पूजा-पाठ से पहले स्नान करके स्वयं को शुद्ध करें और साफ-सुथरे वस्त्र पहनें.

  • पूजा करते समय भगवान को फूल चढ़ाना शुभ माना जाता है. कुछ फूल देवी-देवताओं को विशेष रूप से प्रिय होते हैं और फूल चढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए. जैसे दुर्गा मां को लाल और भगवान विष्णु को पीले रंग के ही फूल चढ़ाने चाहिए. पूजा में कभी भी बासी फूल नहीं चढ़ाने चाहिए, यह अशुभ माना जाता है.

  • पूजा में इस्तेमाल कलश या जल के लोटे को हमेशा ईशान कोण में रखना चाहिए. दीपक और कलश को एक-दूसरे के बिल्कुल पास कभी ना रखें वरना इसके दुष्प्रभाव झेलने पड़ते हैं.

  • पूजा-पाठ का उचित समय सुबह या शाम का होता है. अगर आप अनुचित समय पर पूजा-पाठ करते हैं, तो आपको ईश्वर की कृपा नहीं प्राप्त होगी.

  • पूजा हमेशा आसन पर बैठ कर ही करना चाहिए. आसन पर बैठ कर पूजा न करने से इसका फल नहीं मिलता है. आसन के रंग का चुनाव आपको अपनी राशि के हिसाब से ही करना चाहिए.

  • पूजा करते वक्त हमारा मन बिल्कुल शुद्ध होना चाहिए. उसके वक्त कोई भी बुरे विचार मन में नहीं आने चाहिए. पूजा का फल तब ही मिलता है जब हम बिना किसी स्वार्थ के मन लगाकर भगवान की पूजा करें. पूजा-पाठ में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए. हर मंत्र का उच्चारण स्पष्ट तरीके से करना चाहिए.

  • भगवान के भजन-कीर्तन या आरती के दौरान हर तरीके से वहां उपस्थित रहें. इस दौरान किसी से बातचीत करने से पूजा का फल नहीं मिलता है. पूजा की सामग्री को लेकर कभी भी दिखावा ना करें. 

  • पूजा-पाठ ईश्वर से फल की आशा में नहीं, उनके प्रति प्रेम और भक्ति के लिए किया जाना चाहिए. अगर आप ईश्वर से फल की आशा करते हैं, तो यह लालच होगा. ईश्वर से बिना फल की इच्छा के पूजा-पाठ करें.


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