Pushya Nakshatra 2021: पुष्य नक्षत्र को अत्यंत शुभ नक्षत्र माना गया है. इस नक्षत्र में कार्य करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं. ज्योतिष शास्त्र में नक्षत्रों की संख्या 27 बताई गई है. पुष्य नक्षत्र को आठवां नक्षत्र माना गया है. पुष्य नक्षत्र को तिष्य और अमरेज्य भी कहा जाता है. तिष्य का अर्थ मंगल प्रदान करने वाला नक्षत्र वहीं अमरेज्य का अर्थ देवताओं के द्वारा पूज्य नक्षत्र. यानि पुष्य नक्षत्र की देवता भी पूजा करते हैं. इस नक्षत्र के बारे में कहा जाता है कि शादी विवाह आदि को छोड़कर इस नक्षत्र में पंचांग के देखने की आवश्यकता नहीं पड़ती है. अक्टूबर माह में अब प्रथम पुष्य नक्षत्र कब है और इसका क्या महत्व है ? आइए जानते हैं.
कार्तिक मास 2021
पंचांग के अनुसार कार्तिक मास का आरंभ 21 अक्टूबर 2021 से हो रहा है. शास्त्रों में कार्तिक मास को सभी मास में उत्तम मास भी कहा गया है. कार्तिक मास का समापन 19 नवंबर 2021 को होगा. कार्तिक मास में ही दिवाली का पर्व मनाया जाता है.
कार्तिक मास में पुष्य नक्षत्र का महत्व
धार्मिक दृष्टि से हिंदू धर्म में कार्तिक मास को विशेष माना गया है. कार्तिक मास में लक्ष्मी जी और भगवान विष्णु की पूजा को विशेष फलदायी माना गया है. इस मास में पड़ने वाला पुष्य नक्षत्र के दौरान कई शुभ संयोग बन रहे हैं. यह संयोग लगभग 60 साल बाद बन रहा है.
पुष्य नक्षत्र कब है?
पंचांग के अनुसार 28 अक्टूबर 2021, गुरुवार को कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि है. इस दिन पुष्य नक्षत्र रहेगा. इस दिन चंद्रमा कर्क राशि में विराजमान रहेगा. 28 अक्टूबर को पुष्य नक्षत्र प्रात: 09 बजकर 41 मिनट से होगा और 29 अक्टूबर को प्रात: 11 बजकर 39 मिनट तक रहेगा.
शनि देव स्वामी, तो गुरु हैं पुष्य नक्षत्र के देवता
पुष्य नक्षत्र के स्वामी शनि देव हैं और देवता देव गुरु बृहस्पति हैं. विशेष बात ये हैं कि ये दोनो ही ग्रह मकर राशि में विराजमान हैं. यानि मकर राशि में शनि और गुरु की युति बनी हुई है. इसके साथ पुष्य नक्षत्र गुरुवार के दिन पड़ रहा है. इसलिए इसे गुरु पुष्य नक्षत्र भी कहा जाता है. ऐसा संयोग 60 साल बाद बना है. खरीदारी करने के लिए इस दिन विशेष योग बना हुआ है.