(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Rabindranath Tagore Jayanti 2023: रबीन्द्रनाथ टैगोर के जीवन में खास थीं ये 4 महिलाएं, जिनके बारे में टैगोर ने लिखी ये पंक्तियां
Rabindranath Tagore Jayanti 2023: रबीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई को हुआ था. वे गुरुदेव के नाम से खूब मशहूर हुए. टैगोर के जन्मदिन पर आज जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातें.
Rabindranath Tagore Jayanti 2023: हर साल 7 मई के दिन को रबीन्द्रनाथ टैगोर की जयंती के रूप में मनाया जाता है. रबीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 में बंगाल कोलकाता के जोरासंको हवेली में हुआ था.
रबीन्द्रनाथ टैगोर एक कवि, संगीतकार, चित्रकार और लेखक थे. वे गुरुदेव के नाम से प्रसिद्ध हुए. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को नई पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. देश के 'जन गण मन' राष्ट्रगान के रचयिता भी टैगोर ही हैं. लेकिन उन्होंने केवल एक नहीं दो देशों के राष्ट्रगानों को अपनी कलम से सजाया. 'जन गण मन' के अलावा टैगोर ने बांग्लादेश के राष्ट्रगान ‘आमान सोनार बांग्ला’ की भी रचना की.
आज 7 मई 2023 को रबीन्द्रनाथ टैगोर की 162 वीं जयंती है. टैगोर की 162 वीं जयंती पर जानते हैं ऐसी चार महिलाओं के बारे में, जिसका खास प्रभाव टैगोर के जीवन पर पड़ा. अपनी लेखनी और निजी पत्रों में भी उन्होंने इन महिलाओं का जिक्र किया है. हालांकि ये हमेशा से ही एक विवादित विषय भी रहा है. इस विषय पर अक्सर बायोपिक और फिल्में बनाने की बातें भी होती रही हैं.
इन चार महिलाओं का टैगोर के जीवन में रहा अहम रोल
कादम्बरी देवी: कादम्बरी देवी और टैगोर का रिश्ता देवर-भाभी का था. कादम्बरी देवी टैगोर के बड़े भाई ज्योतिंद्रनाथ की पत्नी थीं, जिसका बाल विवाह हुआ था. टैगोर की मां का देहांत उस वक्त हो गया जब वे केवल 7 साल के थे. इसके बाद 7 साल की उम्र में टैगोर की दोस्ती कादम्बरी देवी से हुई. उस वक्त कादम्बरी देवी की उम्र 12 साल थी. इन दोनों के रिश्ते को संदेह की नजरों से देखा जाता था. इसके बाद टैगोर के पिता देवेंद्र बाबू ने उनकी शादी कराने का फैसला लिया. 22 साल की उम्र में टैगोर की शादी 10 साल की मृणालिनी देवी से हो गई. टैगोर की शादी के कुछ समय बाद ही कादम्बरी देवी ने जहर पीकर आत्महत्या कर ली. कादम्बरी की मौत के बाद टैगोर ने एक किताब भांगा हृदय (टूटा दिल) भी लिखी.
कादम्बबरी देवी के लिए टैगोर की पंक्ति
'मेरी वो प्रियतम
कहां है, जो बचपन में
शायद मेरी इकलौती साथी हुआ करती
थी...? वो मेरी रानी
अब नहीं रही...'
मृणालिनी देवी: मृणालिनी देवी टैगोर की पत्नी थी, जोकि ताउम्र टैगोर के लिए समर्पित रहीं. टैगोर से मृणालिनी देवी को पांच बच्चे हुए. लेकिन बीमारी के कारण 29 साल की उम्र में ही मृणालिनी का देहांत हो गया. मृणालिनी को समर्पित टैगोर ने एक किताब 'समर्पण' लिखी.
मृणालिनी देवी के लिए टैगोर की पंक्ति
'जब मैं तुम्हे प्यार
करता हूं तो ऐसा
मालूम देता है कि
जिस्म से बाहर
निकलकर दो
आत्माओं का मिलन हो रहा है'.
अन्नपूर्णा तुरखुद: अन्नपूर्णा तुरखुद टैगोर के टीचर की बेटी थी. टैगोर के इंग्लैंड जाने से उनेके भाई सत्येंद्रनाथ टैगोर ने उन्हें बॉम्बे के डॉ. आत्माराम पांडुरंग तुरखुर्द के घर दो महीने के लिए भेज दिया, जहां उन्होंने अंग्रेजी की शिक्षा ली. तब टैगोर 17 साल के थे. डॉ. आत्माराम पांडुरंग की एक 18 साल की बेटी थी, जिसका नाम अन्नपूर्णा तुरखुद था. वह रवींद्रनाथ से काफी प्रभावित हुई और उनके प्रेम में पड़ गई. हालांकि दोनों का रिश्ता आगे नहीं बढ़ पाया. टैगोर द्वारा लिखी दत्ता और रॉबिन्सन नाम की किताब 'मैरिएड माइंडेड मैन' में इसका जिक्र मिलता है.
अन्नपूर्णा तुरखुद के लिए टैगोर की पंक्ति
'मैं उसे कभी नहीं भुला पाऊंगा
हर महिला की मोहब्बत करम की तरह है.
एक ऐसा फूल, जो मुरझा जाता है,
लेकिन उसकी खुशबू कायम रहती है'.
विक्टोरियो ओकाम्पो: 63 साल की उम्र में टैगोर की दोस्ती अर्जेंटीना में 34 साल की विक्टोरिया ओकॉम्पो से हुई. विक्टोरिया ओकॉम्पो ने टैगोर को एक कवि से कुशल चित्रकार बना दिया. टैगोर ने अपने संगीत में विक्टोरियो को एक खास जगह दी. विक्योरियो को टैगोर विजया कहते थे.
विक्टोरियो ओकाम्पो के लिए टैगोर की पंक्ति
'आमी सूनेची आमी चीनी गो चीनी तोमारे ओ गो विदेशिनी, तूमी थाको सिंधु पारे ओगो विदेशिनी'. (हां मैंने सुना है, मैं पहचानता हूं तुम्हें ओ विदेशिनी, तुम नदी के पार रहती हो न विदेशिनी)
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