Rahu-Ketu Remedies: कुंडली में है राहु-केतु दोष, तो तुंरत कर लें ये उपाय, जल्द मिलेगा छुटकारा
Rahu-Ketu Upay: कुंडली में ग्रह का राशि परिवर्तन उनके जीवन पर शुभ-अशुभ प्रभाव डालता है. छाया ग्रह कहे जाने वाले राहु-केतु का भी दुष्प्रभाव व्यक्ति के जीवन में कई तरह की समस्याएं खड़ी कर देता है.
किसी भी जातक की कुंडली में ग्रह का राशि परिवर्तन उनके जीवन पर शुभ-अशुभ प्रभाव डालता है. छाया ग्रह कहे जाने वाले राहु-केतु का भी दुष्प्रभाव व्यक्ति के जीवन में कई तरह की समस्याएं खड़ी कर देता है. अगर इनका समय रहते उपाय न किया जाए, तो व्यक्ति बड़ी मुश्किलों में भी फंस सकता है. राहु-केतु के दुष्प्रभावों से छुटकारा पाने के लिए कई उपायों के बारे में बताया गया है. इन्हीं में से एक है कर्णछेदन.
बता दें कि शास्त्रों में कर्णछेदन को 16 संस्कारों में स्थान प्रदान है. कान छिदवाने का ज्योतिषीय महत्व भी है. ज्योतिष शास्त्र में नाराज राहु और केतु के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए भी कान छिदवाने का लॉजिक बताया गया है.
कर्णछेदन से दूर होते हैं राहु-केतु के प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में राहु-केतु की खराब स्थिति या फिर इन ग्रहों का गलत स्थान पर बैठना जीवन पर बुरा प्रभाव डालता है. ऐसे में ज्योतिषीय सास्त्र में व्यक्ति कतो कान छिदवाने की सलाह दी गई है. इससे जातक पर राहु-केतु के दुष्प्रभाव को काफी कम किया जा सकता है.
राहु-केतु ये डालते हैं प्रभाव
अकसर देखा गया है कि राहु-केतु अगर कुंडली में खराब स्थिति में हैं, तो वे जीवन पर बुरा प्रभाव डालने लगते हैं. ऐसे में व्यक्ति के जीवन में असफलता ही हाथ लगती है. उसे मानसिक तनाव रहता है. कोई गलत निर्णय ले सकता है. उसे भम्र की स्थिति रहती है औक नकारात्मक शक्तियां हावी होने लगती हैं.
इतने दिनों तक कानों में डालते हैं तार
अगर किसी जातक की कुंडली में राहू और केतु गलत स्थिति में हैं, तो उस जातक को कम से कम 43 दिन तक कानों में तार डालने की सलाह दी जाती है. ऐसा करने से राहु और केतु के बुरे असर धीरे-धीरे खत्म हो जाते हैं. और राहु-केतु प्रसन्न होते हैं.
है।
इतना ही नहीं, ऐसा करने से बुरी शक्तियों का नाश होता है और जातक निरोगी और लंबी उम्र पाता है. दिमाग तेज होता है और निर्णय लेने की क्षमता भी बढ़ती है. अकसर देखा जाता है कि कई घरों में घर की सबसे बड़ी संतान का कर्णछेदन कराया जाता है.
ऐसा माना गया है कि कान छिदने से तनाव कम होता है और लकवा जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा भी कम हो जाता है.
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