Kaal Bhairav Ashtak: हिंदू धर्म शास्त्र में भगवान भैरव को शिव का रूप ही कहा गया है. इनके पूजन और स्मरण मात्र से राहु-केतु शांत हो जाते हैं. भगवान भैरव के पूजन में काल भैरव अष्टक और भैरव कवच का पाठ बहुत जरूरी होता है. इनके पाठ करने से शीघ्र फल मिलता है. प्रेत व तांत्रिक बाधाएं दूर हो जाती है. जीवन के सारे कष्ट समाप्त हो जाते हैं.


काल भैरव अष्टक (Kaal Bhairav Ashtak)


मान्यता है कि जिन लोगों को राहु और केतु परेशान कर रहें. उनकी कुंडली में राहु और केतु का दोष है. तो इनके दोषों को दूर करने के लिए काल भैरव अष्टक का नियमित पाठ करना चाहिए. 


ॐ देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं


व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम् ।


नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं


काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ 1॥


 


भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं


 नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम् ।


कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं


काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ 2॥


 


शूलटंकपाशदण्डपाणिमादिकारणं


श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम् ।


भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं


काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ 3॥


 


भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं


भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम् ।


विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं


काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥ 4॥


 


धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशनं


कर्मपाशमोचकं सुशर्मधायकं विभुम् ।


स्वर्णवर्णशेषपाशशोभितांगमण्डलं


काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ 5॥


 


रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं


नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम् ।


मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं


काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ 6॥


 


अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं


 दृष्टिपात्तनष्टपापजालमुग्रशासनम् ।


अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं


काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ 7॥


 


भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं


काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम् ।


नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं


काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ 8॥


 


॥ फल श्रुति॥


 


कालभैरवाष्टकं पठंति ये मनोहरं


ज्ञानमुक्तिसाधनं विचित्रपुण्यवर्धनम् ।


शोकमोहदैन्यलोभकोपतापनाशनं


प्रयान्ति कालभैरवांघ्रिसन्निधिं नरा ध्रुवम् ॥


 


॥इति कालभैरवाष्टकम् संपूर्णम् ॥



 


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