Rahu Ketu Upay: राहु-केतु दोष से जन्नत सा जीवन भी बन सकता है जहन्नुम, सूर्य चंद्रमा तक को नहीं छोड़ते ये पापी ग्रह
Rahu Ketu Upay: राहु-केतु ऐसे पापी ग्रह हैं, जिसके नकारात्मक प्रभाव से जीवन में समस्याओं का अंबार लग जाता है. यदि आपकी कुंडली में भी इन पापी ग्रह का बुरा प्रभाव है तो इन उपायों को जरूर करें.
Rahu Ketu Dosh Upay: ज्योतिष शास्त्र में राहु-केतु दोनों को छाया या पापी ग्रह कहा जाता है. यदि किसी की कुंडली में इन ग्रहों का प्रतिकूल प्रभाव हो तो जीवन में एक के बाद एक समस्याएं लगी रहती हैं. यही कारण है कि लोग इन पापी ग्रह का नाम सुनते ही भयभीत हो जाते हैं.
यदि आपकी कुंडली में भी राहु या केतु की महादशा चल रही है तो, आपको बिल्कुल भी भयभीत होने की जरूरत नहीं है. क्योंकि ज्योतिष में ऐसे उपायों के बारे में बताया गया है, जिससे राहु-केतु दोष का बुरा प्रभाव कम होता है.
राहु-केतु दोष के संकेत
कुंडली में यदि राहु या केतु दोष हो तो इसे हल्के में न लें. बल्कि तुरंत इससे संबंधित उपायों को करें. क्योंकि राहु की कमजोर स्थिति होने पर जीवन में अशुभ घटनाएं घटने लगती है. व्यक्ति तनावग्रस्त हो जाता है और अनिद्रा की समस्या झेलनी पड़ती है. शरीर में अकड़न, कमजोरी, कामकाज ठप हो जाना सभी कमजोर राहु के संकेत हैं.
वहीं कुंडली में केतु की स्थिति अशुभ होने पर व्यक्ति को अनिद्रा, आर्थिक तंगी और वाद-विवाद आदि का सामना करना पड़ता है. इतना ही नहीं संतान संबंधी कष्ट, जोड़ों में दर्द, चर्म रोग, घुटनों का दर्द, रीढ़ की हड्डी में दर्द और रिश्तों में तनाव आदि भी कमजोर केतु का संकेत हैं. ये पापी ग्रह इतने भयानक हैं कि सूर्य और चंद्रमा तक को नहीं छोड़ते.
सूर्य चंद्रमा तक को नहीं छोड़ते पापी ग्रह राहु-केतु
पौराणिक कथा के अनुसार, जब समुद्र मंथन से अमृत कलश निकता था तब अमृत पान के समय स्वरभानु नामक असुर भी रूप बदलकर देवताओं की पंक्ति में अमृत पीने बैठ गए. लेकिन सूर्य देव और चंद्र देव ने स्वरभानु को पहचान लिया. इसके बाद सूर्य देव और चंद्र देव ने भगवान विष्णु के पास जानकर बता दिया कि, अमृत पान करने के लिए एक असुर भी पंक्ति में बैठा है. यह बात सुनते ही भगवान विष्णु क्रोधित हो गए गए और अपने सुदर्शन चक्र से स्वरभानु का वध कर दिया. लेकिन तब तक स्वरभानु अमृत पान कर चुका था. इसलिए वो अमर हो चुका था.
भगवान विष्णु के सूदर्शन चक्र से स्वरभानु का शरीर दो भागों में कट गया. उसके शरीर के ऊपर वाला हिस्सा राहु और धड़ वाला हिस्सा केतु कहलाया. इस घटना के बाद सूर्य और चंद्रमा राहु-केतु के शत्रु हो गए. इसलिए राहु-केतु हर माह की पूर्णिमा और अमावस्या पर सूर्य-चंद्रमा पर ग्रास लगाने की कोशिश करते हैं, जिससे सूर्य और चंद्रमा को ग्रहण लगता है.
राहु-केतु दोष उपाय (Rahu Ketu Upay)
- कुंडली में राहु-केतु का बुरा प्रभाव होने पर रविवार के दिन कन्याओं को हलवा, पूरी और दही खिलाएं और उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें.
- राहु-केतु दोष दूर करने के लिए सबसे आसान उपाय यह है कि नियमित रूप से कुत्ते को रोटी खिलाएं. यह उपास आसान होने के साथ ही प्रभावी भी है.
- शनिवार के दिन गोमेद रत्न धारण करने से भी राहु का प्रभाव कम होता है. लेकिन इस रत्न को ज्योतिष की सलाह से ही धारण करें.
- भगवान शिव की पूजा से भी राहु-केतु दोष का प्रभाव कम होता है. इसके लिए शिवजी को काले तिल, बेलपत्र और गंगाजल अर्पित करें और ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करें.
- राहु-केतु ग्रह की शांति के लिए शेषनाक के ऊपर नृत्य करते हुए भगवान श्रीकृष्ण की फोटो घर पर लगाएं और इसकी पूजा करें. पूजा में ‘ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम:’ मंत्र का 108 बार जाप करें.
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