"राहु (Rahu) का नाम आते ही एक डर सताने लगता है. राहु का स्वभाव भी ऐसा ही है. ज्योतिष शास्त्र में राहु को सबसे अप्रत्याशित (Unpredicted)फल देने वाला ग्रह बताया गया है, मान्यता है कि इस ग्रह को समझना बहुत ही मुश्किल है. क्या है इस ग्रह की खासियत, ज्योतिष (Vedic Astrology) में आखिर क्यों कहा जाता है राहु (Rahu) को सबसे ज्यादा रहस्मय ग्रह? पाप ग्रह 'राहु' से जुड़ी कुछ रोचक और विशेष बातें, आइए जानते हैं-"
विज्ञान में राहु की स्थिति (Rahu Position in Science)
पहले विज्ञान की नजर से समझते हैं कि सौर मंडल में आखिर 'राहु' की स्थिति क्या है? पृथ्वी की कक्षा का परिक्रमा पथ और चंद्रमा की कक्षा का परिक्रमा पथ पर जहां पर एक-दूसरे को काटते हैं उसी स्थान पर राहु माना गया है. इसे दूसरे तरह से भी समझ सकते हैं जब दो बल मिलते हैं और एक दूसरे को काटते हैं या टकराते हैं तो एक नई शक्ति की उत्पत्ति होती है.
इसे बल भी कह सकते हैं. इस नए बल की तीव्रता दोनों बलों से भी अधिक होती है. मान्यता है कि काल में कटाव बिंदु पर एक विस्फोटक स्थिति पैदा हुई थी जिससे एक विशाल ऊर्जा पैदा हुई थी जो हजारों किलोमीटर फैल गई और एक विशाल पुंज के रूप में ग्रह की उत्पत्ति हुई, इसे राहु ग्रह कहा गया, ये तीव्र ऊर्जाओं का क्षेत्र है. इसका कोई धरातल रंग नहीं है और ना ही इसमें कोई तत्व है.
ज्योतिष शास्त्र में राहु की स्थिति का वर्णन (Rahu in Astrology)
राहु का ज्योतिष शास्त्र में विस्तार से वर्णन मिलता है. पुराणों में राहु को वृत्ताकार बताया गया है. इसका कोई पिंड नहीं है. आकाश मंडल के एक निश्चित स्थान के सूचक के भाग या संपात को राहु और दूसरे भाग को केतु माना गया है. इसके साथ ही राहु एक छाया ग्रह है. पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव को भी राहु कहा जाता है.
राहु को समझना है तो पहले जान लें इसका स्वभाव (Rahu Characteristics)
वैदिक ज्योतिष ग्रंथों में राहु को मायावी ग्रह भी बताया गया है. इसे समझना बेहद मुश्किल है, इसीलिए इसके बारे में कहा जाता है कि कलियुग में राहु ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जो राजा को रंक और रंक को राजा बनाने की क्षमता रखता है. कलियुग में इसे बेहद प्रभावी माना गया है.
राहु यदि कुंडली में सही अवस्था में हो तो ये उम्मीद से कई गुना बेहतर परिणाम भी देता है. ये रातों-रात तकदीर बदलने वाला ग्रह है, इसलिए राहु ग्रह को कमतर आंकने की गलती कभी न करनी चाहिए. राहु अपनी दशा और विशेष गोचर काल में, ऐसे-ऐसे रंग दिखाता है जिसकी जीवन में कल्पना करना भी मुश्किल होता है.
राहु की कथा (Rahu Story)
दंत कथा और पौराणिक कथाओं के अनुसार देवता और दानवों के बीच समुद्र मंथन के दौरान स्वरभानु नाम के राक्षस का जब विष्णु भगवान ने अपने सुदर्शन चक्र से सिर, धड़ से जब अलग कर दिया तो सिर वाला हिस्सा राहु (Rahu) और धड़ वाला हिस्सा केतु (Ketu) कहलाया. वहीं श्रीमद्भागवत पुराण के मुताबिक महर्षि कश्यप की पत्नी दनु ने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम विप्रचित्ति रखा गया.
इसका विवाह हिरण्यकश्यप की बहन सिंहिका से हुआ. राहु सिंहिका का पुत्र है, इस कारण राहु को सिंहिकेय भी कहा जाता है. इसके अतिरिक्त राहु का वर्णन ऋग्वेद में भी मिलता है. विष्णु पुराण के पहले अंश में भी इसका उल्लेख मिलता है.
कुंडली में राहु की स्थिति (Rahu Astrology Calculator)
ज्योतिष में राहु को एक महत्वपूर्ण ग्रह बताया गया है. इसे 8वां ग्रह माना गया है. राहु सदैव वक्री (Vakri) रहता है. अन्य ग्रहों की तरह राहु की भी उच्च, नीच, मूल त्रिकोण राशि भी होती है, जो इस प्रकार है-
ग्रह का नाम | राशि | स्थिति |
राहु | कन्या राशि | स्वराशि |
राहु | कर्क राशि | मूल त्रिकोण राशि |
राहु | वृष राशि | उच्च राशि(अतिबली) |
नोट- मतांतर में मिथुन राशि में भी राहु को उच्च माना गया है. वहीं वृश्चिक राशि में नीच का बताया गया है.
मित्र ग्रह | बुध, शुक्र, शनि |
सम ग्रह | मंगल, गुरू |
शत्रु ग्रह | सूर्य, चंद्रमा |
राहु शुभ फल भी देता है (Positive Nature Of Rahu Planet)
राहु से डरना नहीं चाहिए. राहु हमेशा खराब फल ही देता है ऐसा नहीं है. राहु के बारे में एक बात जान लें कि जब ये अच्छे फल देने पर आता है तो कोई भी ग्रह इसकी बराबरी नहीं कर पाता है. ये रातों रात किस्मत चमकाने वाला ग्रह भी है. ये कंकड़ को भी हीरे की कनी बना सकता है तो हीरे को भी मिट्टी में मिला देता है. कहने का अर्थ है कि राहु शुभ-अशुभ दोनों तरह के फल प्रदान करता है. कुंडली (Kundali) में इसकी स्थिति और मनुष्य के कर्मों के आधार पर राहु फल प्रदान करता है.
राहू इन चीजों का है कारक (Rahu Qualities in Hindi) | कमजोर राहु के संकेत (Sign of Weak Rahu) |
सांस प्रणाली (Respiratory system) | कठोर वाणी (Harsh voice) |
वैराग्य (Mortification) | विदेश में जीवन (Abroad) |
गुप्त ज्ञान (Secret knowledge) | यात्राएं करना (Travel) |
क्रांतिकारी (Revolutionary) | त्वचा पर दाग (Skin Rash) |
विदेश यात्राएं (Foreign trips) | चर्म रोग (Skin Diseases) |
शोध कार्य (Research work) | दरिद्रता (Poverty) |
एडवेंचर (Adventure) | अनैतिक महिला से संबन्ध (Immoral Woman Relationship) |
मोबाइल (Mobile) | व्यर्थ के तर्क (Arguments) |
इंटरनेट (Internet) | भड़काऊ भाषण (Hate Speech) |
हवाई जहाज (Airplane) | बनावटीपन (Artificiality) |
कम्प्यूटर (Computer) | संक्रीण सोच (Narrow minded) |
मादक पदार्थ (Drugs) | पीठ पीछे बुराई करने वाले (Backstabbing) |
जादू (Magic) | पाखण्डी (Renegade) |
राहु का मंत्र (Rahu Mantra)
ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:
राहु को मजबूत करने के लिए क्या करें? (Rahu Ke Upay)
- अमावस्या के दिन पीपल के नीचे दीपक जलाएं.
- गरीबों को दान दें.
- राहु यंत्र की स्थापना करें.
- रसोई में भोजन करें.
- शरीर में पानी की कमी न होने दें.
- शिव सहस्रनाम और हनुमत सहस्त्रनाम का भी पाठ करें.
- ज्ञान की देवी सरस्वती को राहु की इष्ट देवी माना गया है, सरस्वती पूजा से भी राहु दोष दूर होता है.
- किसी प्रकार का नशा न करें.
- गलत संगत से दूर रहें.
- किसी की बुराई न करें.
- साफ-सफाई के नियमों का पालन करें.
- कर्ज न लें.
- आलस से दूर रहें.
- वाणी को खराब न करें.
- फटे और मैले कपडे़ न पहनें.
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