23 सितंबर को राहु मिथुन राशि से वृष राशि में गोचर करेगा. राहु इस राशि में 12 अप्रैल 2022 तक रहेगा. माना जा रहा है कि राहु के इस राशि परिवर्तन का सभी राशियों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा. ज्योतिष में राहु को छाया ग्रह माना गया है. वैदिक ज्योतिष में राहु ग्रह को एक क्रुर ग्रह माना जाता है. हिंदू वैदिक ज्योतिष में राहु ग्रह को कठोर वाणी, जुआ, दुष्ट कर्म, त्वचा के रोग, धार्मिक यात्राएं आदि का कारक कहा गया है.
हालांकि कुछ ऐसी स्थितियां भी बनती है जब राहु खुशियां भी लाता है. राहु की वजह से व्यक्ति सभी तरह का सुख और वैभव को प्राप्त करने लगता है. हम आपको बता रहे हैं कि राहु की अन्य ग्रहों के साथ युति और उनके बुरे प्रभाव क्या हैं....
राहु और चंद्रमा की युति
इस योग के कारण व्यक्ति को मानसिक परेशानियां आने लगती है. जातक की मां की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है. मां के साथ रिश्ते भी बिगड़ने लगते हैं.
राहु और सूर्य की युति
इस योग का प्रभाव नकारात्मक रहता है. पिता और पुत्र में विवाद पैदा होने लगता है.
राहु और मंगल की युति
इस युति से अंगारक योग का निर्माण होता है. खून से संबंधित परेशानियां बढ़ जाती है. यह योग भाई के लिए अशुभ रहता है.
राहु और बुध की युति
व्यक्ति को सिर से संबंधित बीमारियां होने लगती है. जातकों की बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है.
राहु और गुरु की युति
शुभ-अशुभ दोनों तरह का प्रभाव पड़ता है. व्यक्ति की आयु लंबी होती है. जीवन में छोटी-छोटी परेशानियां बनी रहती है.
राहु और शुक्र की युति
यह युति बनने से शुक्र का शुभ प्रभाव राहु के कारण समाप्त हो जाता है. व्यक्ति गलत संगति का शिकार बन जाता है.
राहु और शनि की युति
व्यक्ति बहुत ही रहस्यमयी हो जाता है. व्यक्ति गलत तरीके से पैसे कमाना शुरू कर देता है.
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