Ramadan 2023 Taraweeh Namaz Dua method and importance: रमजान का महीना 24 मार्च 2023 से शुरू हो चुका है और आज से रोजेदार रोजा रखेंगे. रमजान के महीने में अल्लाह की खूब इबादत की जाती है. रमजान में पूरे महीने लोग रोजा रखकर पांच वक्त की नमाज और जकात अदा करते हैं. वैसे तो मुसलमान हर दिन पांच वक्त की नमाज अदा करते हैं. लेकिन रमजान के महीने में तरावीह या तराबी की दुआ अदा करना जरूरी होता है. तरावीह केवल रमजान में ही पढ़ी जाती है.


तरावीह क्या है? (Meaning of Taraweeh)


तरावीह अरबी भाषा का शब्द है, जिसका मतलब ठहराव या आराम से होता है. तरावीह की दुआ में हर चार रकात के बाद जलसा की सूरत में बैठकर पढ़ा जाता है. ईशा की नमाज के बाद तरावीह पढ़ी जाती है और बीच में रुककर दुआ पढ़ा जाता है. इसमें 20 रकात होती है और तरावीह की नमाज को 2-2 रकात करके पढ़ी जाती है और जब चार रकात पूरे हो जाते हैं तो सलाम फेरकर उसी सूरत में बैठकर दुआ पढ़ी जाती है. तरावीह की नमाज स्त्री और पुरुष दोनों ही पढ़ सकते हैं. तरावीह की दुआ के बिना रमजान अधूरा माना जाता है.



तरावीह क्या घर पर पढ़ सकते हैं?


बता दें कि तरावीह की नमाज को घर पर भी पढ़ा जा सकता है. लेकिन मस्जिद और घर पर पढ़े जाने वाले तरावीह की नमाज में थोड़ा अंतर होता है. महिलाएं मस्जिद नहीं जाती ऐसे में वो घर पर ही तरावीह की नमाज पढ़ती हैं. वहीं कुछ लोग मस्जिद जाने में समर्थ नहीं होते या मस्जिद घर से दूर हो तो ऐसे में भी घर पर तरावीह की नमाज पढ़ी जा सकती है. तरावीह की नमाज रात के समय पढ़ी जाती है और इसमें डेढ़ से दो घंटे का समय लगता है.


घर पर तरावीह की नमाज पढ़ने का तरीका



  • मस्जिद में पूरी कुरान सुना देता है लेकिन घर मे कोई पूरी कुरान तरावीह में नहीं पढ़ सकता. बशर्ते कि वह हाफिज न हो. ऐसे में घर पर कुछ चुनिंदा सूरतें ही पढ़ी जाती है, क्यूंकि आमतौर पर सभी को पूरी कुरान याद नहीं होती.

  • जिस तरह से हम घर और मस्जिद दोनों में ही नमाज अदा कर सकते हैं. ठीक इसी तरह तरावीह की नमाज भी घर पर पढ़ी जा सकती है.

  • अगर घर में कोई हाफिज-ए-कुरान हो तो उसके पीछे तरावीह की नमाज अदा कर सकते हैं. लेकिन घर पर कोई हाफिज न हो तो तरावीह को दूसरी तरह से पढ़ना चाहिए.

  • तरावीह की नमाज पढ़ने में लगभग डेढ़ से 2 घंटे का समय लगता है और इसे हर दिन पूरे रमजान में पढ़ी जाती है. इसे बिना किसी गेप के लगातार पढ़ना चाहिए. यानी तरावीह की नमाज में बीच-बीच में उठना नहीं चाहिए. तभी इसका सवाब मिलता है.

  • तरावीह की नमाज के लिए पहले किबला रूह खड़े हो जाए और इसके बाद नियत करें. इसमें पहले आप सना यानि सुब्हानका अल्लहुमा वबी हमदिका पढ़ें. फिर दूसरा ताउज यानि के आउज़ बिल्लाहे मिन्नस सैतानिर्रजिम और बिस्मिल्लाह हिर्रहमा निर्रहीम पढ़ें. फिर अल्हम्दो लिल्लाहे और इसके बाद कोई भी कुरान की सूरह पढ़ें.


महिला और पुरुष कैसे करें तरावीह की नियत


पुरुष तरावीह की नियत करते समय कहें- नियत की मैंने दो रकात नमाज सुन्नत तरावीह, अल्लाह तआला के वास्ते, वक्त इशा का, पीछे इस इमाम के मुंह मेरा कअबा शरीफ की तरफ, अल्लाहु अकबर कह कर हाथ बांध लेना है फिर सना पढ़ेंगे . 


महिला तरावीह की नियत में कहती हैं- नियत करती हूं मैं दो रकात नमाज सुन्नत तरावीह की, अल्लाह तआला के वास्ते, वक्त इशा का, मुंह मेरा मक्का कअबा की तरफ, अल्लाहु अकबर. फिर हाथ ऊपर करके नियत बांध लेते हैं.


तरावीह की नमाज में है 20 रकात


तरावीह की नमाज ईशा नमाज के बाद पढ़ी जाती है. इसमें 20 रकात नमाजें होती हैं. हर 2 रकात के बाद सलाम फेरा जाता है. 10 सलाम में 20 रकात होती हैं और 4 रकात के बाद दुआ पढ़ी जाती है. दुआ में नमाजी देश और समाज की सलामती,परिवार की खुशियां और रोजी-रोजगार से जुड़ी दुआ मांगते हैं.  


तरावीह की किस रकात में पढ़ें कौन सी सूरह



  • पहली रकात: अलम तारा कैफ़ सूरह

  • दूसरी रकात: लि इलाफि क़ुरैश सूरह

  • तीसरी रकात: सूरह अरा ऐतल लज़ी

  • चौथी रकात: इन्ना आतैनाकल कौसर सूरह

  • पांचवीं रकात: सूरह कुल या अय्युहल काफ़िरून

  • छठी रकात: सूरह इज़ा जा अ नसरुल लाहि वल फतह

  • सातवीं रकात: सूरह तब्बत यदा

  • आठवीं रकात: सुरह क़ुल हुवल लाहू अहद

  • नौंवी रकात: सुरह क़ुल अऊजु बिरबबिल फलक

  • दसवीं रकात: सुरह कुल ऊजु बिरब बिन नास


इन्हीं 10 रकात से अगली दस रकात पूरी की जाती है.




जरूर पढ़ें तरावीह की दुआ (Taraweeh ki Dua) 


माह-ए-रमजान में तरावीह की दुआ का बहुत महत्व होता है. जिस तरह से रमजान में रोजा की दुआ होती है, उसी तरह तरावीह की भी दुआ होती है. दुआ पढ़े बिना तरावीह की नमाज अधूरी मानी जाती है. यहां जाने तरावीह की दुआ-



सुब्हा-नल मलिकुल कुद्दूस
सुब्हान जिल मुल्कि वल म-ल कूत
सुब्हा- न ज़िल इज्जती वल अ-ज़-मति वल-हैबति
वल क़ुदरति वल-किब्रियाइ वल-ज-ब-रुत
सुब्हा-नल-मलिकिल हैय्यिल्लज़ी ला यनामु व ला यमूत
सुब्बुहुन कुद्दूसुन रब्बुना न रब्बुल मलाइकति वरूह
अल्लाहुम्मा अजिरना मिनन्नारि
या मुजीरु या मुजीरु या मुजीर
क्या करें अगर याद नहीं तरावीह की दुआ


वैसे तो हर मुसलमान को तरावीह की दुआ याद रहनी चाहिए. अगर फिर भी किसी कारण दुआ याद नहीं तो आप 4 रकत तरावीह पढ़ने के बाद इनमें से कोई एक कामों को कर सकते हैं-



  • पहला कलमा से लेकर छह कलमा में जो भी आपको याद हो उसे पढ़ सकते हैं.

  • कोई दरूद शरीफ पढ़ लें जो आपको याद हो.

  • सुभानअल्लाह या अल्हम्दोलिल्लाह या अल्लाहु अकबर भी पढ़ सकते हैं.

  • अस्तगफार जैसे अस्तग़्फ़िरुल्लाह भी पढ़ा जा सकता है.

  • अगर आपको कुरान की कोई भी आयत याद हो तो उसे भी पढ़ सकते हैं.


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