Ramayan: रामायण में वीर बाली का नाम शक्तिशाली योद्धा के तौर पर लिया जाता है. वानर जाति का बाली किष्किंधा का राजा और सुग्रीव का बड़ा भाई था. वह  इंद्र का पुत्र था. 


बाली (Bali) को ब्रह्मा जी से यह वरदान प्राप्त था कि युद्ध में उसका सामना करने वाला कोई भी योद्धा अपनी आधी शक्ति उसे सौंप देगा. इस वरदान के बल पर बाली ने अजेयता प्राप्त कर ली थी. 


अपने इसी वरदान से बाली ने लंका के राजा रावण को हराया था. वो रावण को भी बगल में दबा कर चलता था. आइए जानते हैं कि रावण और बाली से जुड़ी इस पौराणिक कहानी के बारे में.


कौन था बाली


किष्किंधा का राजा बाली रामायण का अहम पात्र है. रामायण के उत्तर काण्ड में बाली का वर्णन किया गया है. जब रावण माता सीता का अपहरण कर उन्हें लंका लेकर गया तब सीता की तलाश में भगवान राम इधर-उधर भटक रहे थे. इसी दौरान वह हनुमान जी से मिले. हनुमानजी ने ही श्रीराम और सुग्रीव की मित्रता करवाई थी. 


बाली सुग्रीव का ही छोटा भाई था. बेहद बलशाली होने के कारण उसे महाबली बाली भी कहा जाता है. अपनी  शक्ति से बाली ने अपने भाई सुग्रीव का राज्य और उनकी पत्नी को छीन लिया था. इसलिए उसका वध खुद भगवान श्री राम ने किया था.


जब रावण ने बाली को युद्ध के लिए ललकारा


रावण अपने बल और पराक्रम से कई राजाओं को हरा चुका था. रावण को वरदान मिला था कि कोई देवता, असुर, किन्नर,गंधर्व, सर्प या गरुड़ उसका वध नहीं कर सकता है. इस वरदान की वजह से रावण में अहंकार आ गया था. 


जब रावण को बाली की असीम शक्तियों के बारे में पता चला तो उस बाली से ईष्या होने लगी. उसने बाली को अपने साथ युद्ध करने के लिए ललकारा. इसके बाद ही रावण और बाली के बीच भयंकर युद्ध हुआ. 


युद्ध में बाली से हार गया रावण


ब्रम्हा जी से मिले वरदान के कारण रावण की आधी शक्ति बाली के अंदर आ गई जिससे वह और अधिक बलशाली हो गया और रावण की हार निश्चित हो गई. बाली ने रावण को कारावास में बंद कर दिया. वह हर दिन रावण का अपमान करता था.


रावण को बगल में दबाकर रखता था बाली


युद्ध में हारने के बाद भी बाली ने रावण का वध नहीं किया लेकिन वह उसे हमेशा लज्जित करता रहता था. बाली रावण को अपनी बगल में दबाकर रखता था. वो रावण को चारों दिशाओं में घुमाकर सबके  सामने अपमानित करता था. ऐसा बाली ने 6 महीनों तक किया. 


बाली और रावण में हुई दोस्ती


बाली से हर दिन अपमानित होने के बाद सर्वशक्तिमान लंकापति रावण उससे माफी मांगने लगा. रावण ने बाली से अपनी हार स्वीकार कर ली जिसके बाद बाली ने रावण को क्षमा कर दिया. इसके बाद रावण ने बाली के सामने मित्रता का प्रस्ताव रखा, जिसे बाली ने स्वीकार कर लिया. इस तरह इस युद्ध के बाद बाली और रावण बहुत अच्छे मित्र बन गए.


ये भी पढ़ें


रवि प्रदोष व्रत के दिन इस विधि से करें भोलेनाथ को प्रसन्न, बन जाएगा हर बिगड़ा काम


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.