Jyotish Vidya: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब ग्रह अशुभ होते हैं तो जीवन में इसके बुरे प्रभाव देखने को मिलते हैं. कोई ग्रह जब खराब फल देने लगता है तो व्यक्ति का जीवन संकटो से भर जाता है. ज्योतिष शास्त्र की माने तो यदि व्यक्ति को समय रहते ग्रहों की अशुभता के बारे में ज्ञात हो जाए तो आने वाली परेशानियों को काफी हद तक कम किया जा सकता है.
जन्म कुंडली में बैठे ग्रह व्यक्ति के जीवन पर व्यापक असर डालते हैं. ग्रहों के शुभ-अशुभ होने के कारण ही व्यक्ति के व्यवहार और उसके कार्य करने के तरीकों में बदलाव आता है. इसलिए ग्रहों की चाल पर ध्यान रखना बहुत ही जरूरी हो जाता है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों के शुभ और अशुभ होने के बारे में आसानी से पता लगाया जा सकता है. बिना जन्म कुंडली देखे भी ग्रहों की शुभ और अशुभ होने के बारे में जाना जा सकता है. ग्रहों का संबंध हमारे रिश्तों पर भी पड़ता है. इसलिए जीवन में जब भी परेशानी महसूस होने लगे तो इन रिश्तों को गंभीरता से समझना चाहिए-
चंद्रमा के अशुभ होने पर मां की सेहत पर पड़ता है असर
चंद्रमा जब अशुभ होता है तो मां की सेहत पर इसका बुरा असर देखा जाता है. यदि मां की तबीयत खराब रहती है या फिर मां से संबंध बिगड़ने लगते हैं तो कहीं न कही चंद्रमा के अशुभ होने का ये संकेत है. चंद्रमा जब अशुभ होता है तो व्यक्ति को तनाव होने लगता है. मन में बुरे विचार आने लगते हैं. पाप ग्रहों के संपर्क में आने से अशुभ चंद्रमा बहुत ही बुरे परिणाम प्रदान करता है. इसलिए चंद्रमा की अशुभता को तुरंत दूर करने का प्रयास करना चाहिए.
केतु के अशुभ होने से नाना और मामा का नहीं मिलता है प्यार
केतु एक पाप ग्रह है, लेकिन ये शुभ फल भी प्रदान करता है. केतु जब शुभ होता है तो व्यक्ति को विद्वान, विभिन्न विषयों का जानकार और खोजी प्रवृत्ति का बनाता है. केतु व्यक्ति को अचानक धन लाभ कराता है. वहीं जब अशुभ होता है तो व्यक्ति को आसमान से जमीन पर लाकर पटक देता है. जिन लोगों की कुंडली में केतु ग्रह अशुभ होता है तो नाना और मामा से प्यार नहीं मिलता है. केतु जब अशुभ हो तो ननिहाल पक्ष से नहीं बनती है. या फिर उनसे दूरी रहती है.
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