Ketu Transit 2020: केतु को ज्योतिष शास्त्र में पाप ग्रह माना गया है. केतु जब किसी राशि में प्रवेश करता है तो शुभ और अशुभ दोनों तरह के फल प्रदान करता है. ज्योतिष शास्त्र में केतु को अशुभ ग्रह माना गया है. इस समय केतु धनु राशि में है और 23 सितंबर को प्रात: 8 बजकर 20 मिनट पर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेगा. वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल ग्रह को माना गया है. मंगल की राशि में केतु का गोचर सभी 12 राशियों पर प्रभाव डालेगा लेकिन वृश्चिक राशि इस राशि परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित होगी. क्योकि केतु वृश्चिक राशि में आ रहा है.


केतु का स्वभाव
वैदिक ज्योतिष शास्त्र में केतु ग्रह को एक छाया ग्रह माना गया है. जन्म कुंडली में केतु शुभ स्थिति में होने पर शुभ परिणाम देता है. ज्योतिष शास्त्र में केतु को आध्यात्म, वैराग्य, मोक्ष, रहस्मय विद्या, लेखन का कारक भी माना गया है. धनु राशि में केतु को उच्च का माना गया है. जबकि मिथुन राशि में इसे नीच का माना गया है. केतु को अश्विनी, मघा और मूल नक्षत्र का स्वामी कहा गया है. केतु सिर विहिन है. इसका सिर नहीं होता है.


मंगल की राशि वृश्चिक में केतु का फल
केतु अपनी उच्च राशि धनु से निकल कर 23 सितंबर को वृश्चिक राशि में आ जाएगा. वृश्चिक राशि मंगल की राशि है. विशेष बात ये है कि मंगल की तरह केतु को भी अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है. वृश्चिक राशि में केतु का गोचर क्रोध में वृद्धि करेगा. दांपत्य जीवन में परेशानी आ सकती है और करीबी लोगों से संबंध खराब हो सकते हैं. केतु का गोचर वाणी दोष का भी कारण बन सकता है. जॉब और व्यापार के मामले में सावधानी से निर्णय लेने होंगे.


केतु की अशुभता को दूर करने के उपाय
केतु की अशुभता को दूर करने के लिए भगवान गणेश जी की पूजा करें. गाय को हरा चारा खिलाएं और आर्थिक और कमजोर लोगों की मदद करें. गलत लोगों की संगत न करें और किसी भी प्रकार के नशा से बचें.


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